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आज का शहर

आज का शहर           ------------------------ आज का ये कैसा शहर है चारों तरफ जहर ही जहर है          रिश्तों की नहीं कोई कदर है          तो रहने की भी नहीं ठहर है गांव में बड़ा सा अपना घर है वहीं केवल रिश्ते की कद्र है          गांव से ही बसते तो शहर है         फिर भी कहे अच्छा शहर है रिश्तों में होता जहां जहर है शायद उसी को कहते शहर है         केवल यहां बीवी और शौहर है         बाकी रिश्ते तो यहां बे असर हैं मां- बाप की भी क्या कदर है वह अकेला ही करता बसर है         ठोकर खाते पर पीता जहर है         आधुनिकता का यही कहर है कहें शान से शहर में मेरा घर है मेरे घर आ जाये न कोई ये डर है         क्या जाने रात है कि दोपहर है         घर आये अतिथि वो भी जहर है राम बहादुर राय "अकेला" भरौली ,नरहीं ,बलिया ,उत्तर प्रदेश,  पिन कोड:२७७५०१