जुनून अभी कायम है
जुनून अभी कायम है- ------------------------ तूफां से भी खौफ़ नहीं है मुझे भले ही डूब ही जाऊं। कश्ती छोड़कर मैं भाग जाऊंगा यह मत समझ लेना। मैं तो ऐसे बगिया का फूल हूं जो सदाबहार पुष्पित है। मेरा जुनून अभी तक कायम है ईश्वर बेरहम नहीं है। ज़माना भले मुझे तवज्जो न दे हमें तो चलते जाना है। हम तो तूफां में ही पले बढ़े हुए हैं हमें उसकी आदत है। जीते जी अगर कुछ कर लिए तो कुछ हासिल हो गया। अगर हम कुछ नहीं भी कर सके तो समझो शहीद ही हुए। हम"अकेला" उस मिट्टी के बने हैं जहां बागी जन्म लेते हैं। जो भी साथ हमारे चला करते हैं वो भी कुछ कर जाते हैं। सन् 42 के आन्दोलन में देखा है सारी दुनिया बागी तेवर। ठान लिया एकबार कुछ करने को फिरंगी भी पस्त हो गये। हम सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं जीते जीने की राह बना देते हैं। जो कुछ यहां सम्भव नहीं होता है हम सम्भव बना देते हैं। हम डूब जायेंगे यह मत सोच लेना जुनून,जोश अभी कायम है। ----------- राम बहादुर राय "अकेला" भरौली,नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश