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Showing posts from January, 2022

जुनून अभी कायम है

जुनून अभी कायम है- ------------------------ तूफां से भी खौफ़ नहीं है मुझे भले ही डूब ही जाऊं। कश्ती छोड़कर मैं भाग जाऊंगा यह मत समझ लेना। मैं तो ऐसे बगिया का फूल हूं जो सदाबहार पुष्पित है। मेरा जुनून अभी तक कायम है ईश्वर बेरहम नहीं है। ज़माना भले मुझे तवज्जो न दे हमें तो चलते जाना है‌। हम तो तूफां में ही पले बढ़े हुए हैं हमें उसकी आदत है। जीते जी अगर कुछ कर लिए तो कुछ हासिल हो गया। अगर हम कुछ नहीं भी कर सके तो समझो शहीद ही हुए। हम"अकेला" उस मिट्टी के बने हैं जहां बागी जन्म लेते हैं। जो भी साथ हमारे चला करते हैं वो भी कुछ कर जाते हैं। सन् 42 के आन्दोलन में देखा है सारी दुनिया बागी तेवर। ठान लिया एकबार कुछ करने को फिरंगी भी पस्त हो गये। हम सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं जीते जीने की राह बना देते हैं। जो कुछ यहां सम्भव नहीं होता है हम सम्भव बना देते हैं। हम डूब जायेंगे यह मत सोच लेना जुनून,जोश अभी कायम है।              ----------- राम बहादुर राय "अकेला" भरौली,नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश

भरोसा कायम रहे---

भरोसा कायम रहे--- ----------------------- ख्वाब जिनके ऊंचे और मस्त होंगे उनके परीक्षण भी जबरदस्त होंगे। दुश्मन हर तरफ नहीं कोई दोस्त होंगे धोखा खाते खाते वह अभ्यस्त होंगे। सामने कोई ठहरता नहीं है कभी भी षड़यंत्र में शकुनि और दुर्योधन होंगे। यदि स्वयं पे विश्वास हो कुछ करने का सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने होंगे। फिर साथ तुम्हारे केशव भी जरूर होंगे झुण्ड में तो सिर्फ गीदड़ चला करते हैं। लक्ष्य भेदने वाले"अकेला"अर्जुन ही होंगे जिधर देखो अब उधर दु:शासन ही होंगे। जैसा कर्म होगा परिणाम भी वैसे ही होंगे यदि सिंहों से पंगा लेने की जुर्रत करोगे। तो फिर उसके परिणाम भुगतने ही होंगे ख्वाब ऊंचे मस्त यदि देखने हैं पाने हैं तो। कठोर योग हमें तो अवश्य ही करने होंगे अन्यथा परिणाम हक में शायद नहीं होंगे।                   ----------------- राम बहादुर राय "अकेला" भरौली नरहीं बलिया उत्तरप्रदेश

पुरानी पेंशन अब बहाल करो

अभी त घर में छुपल हवुवा वेतन पर सुतल हवुवा। जब तूहूंवू रिटायर हो जईबा सोचा हजार रूपया पईबा। जाति-धर्म पार्टी का करी..... जब बुढापा में ठोकर खईबा। अबहीं भी धियान तूहूंवू द ना त हाथ मलत रहि जईबा। जवन पार्टी पुरानी पेंशन दीही ओकरे के तूहूंवू जितईहा.... नयी पेंशन त पूरहर घोटाला ह शेयर/जुआ ना समझि पईबा ‌। सब भाई-बहिन आवा बन्धु संगे पुरानी पेंशन फिर पा जईबा..... अकेला चना भांड़ ना फोर सकै वोट से चोट आपन देखाई दा।                 --------- राम बहादुर राय "अकेला" भरौली, नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश

अच्छा बुरा

अच्छा भी बुरा लगने लगता है ग़लत भी सही लगने लगता है जो काम मना किया जाता है आदमी तो वही करने लगता है किसी का भविष्य संवर जाता है फिर तो शहर दुःखी हो जाता है उसकी सारी बातें बुरी लगती है वह सभी को खटकने लगता है "अकेला" गिरकर भी हंस देता है सबल देख कर दुखी हो जाता है हो जाता जो फ़ोबिया का शिकार लहू का रंग भी उसे हरा दिखता है बौद्धिकता भी इस कदर बढ़ गई है भाईचारा भी गणित लगने लगता है इतना स्वार्थ घर कर गया है हममें एक चेहरे में दो चेहरा नजर आता है                   -------------- रचना स्वरचित,मौलिक एवं अप्रकाशित @सर्वाधिकार सुरक्षित राम बहादुर राय "अकेला" भरौली नरहीं बलिया उत्तरप्रदेश

प्यार की शक्ति

दिलों में रहता था सबके प्यार एक दूसरे से होता था तकरार। जो भी होता हमारे आसपास करते खूब हास और परिहास। कभी दोहा कभी चौपाई लिखूं अब तो सिर्फ़ ग़ज़ल लिखता हूं। तोपों और बमों से सलामी देते फिर हमारे पास भी फूल नहीं है। हम तो चाहने वाले को चाहते हैं मगर यह चाहत आखिरी नहीं है। जिसे चाहता था गीत ग़ज़ल बन वह मेरी आखिरी ग़ज़ल भी नहीं। याद रखना तूने पैसे से सब तोला हम पैसों पर नहीं हैं बिकने वाले। इस दुनिया में सब कुछ नश्वर है क्यों सोच रहा है कि तू अमर है। मैं"अकेला'प्यार का एक दरिया हूं आने के लिए सब खोलके रखा हूं। मुझे समझना होगा तुमको ठीक से मैं प्यार के लिए प्यार से कुर्बान हूं। बहकाने के लिए तमाम प्रलोभन हैं मेरे जैसे सच्चे कम अच्छे लगते हैं । जिंदगी में दर्द तो कोई दे सकता है मैं दर्द लेकर भी खुश रहा करता हूं। प्यार मेरा कभी तुमसे कम न हो जाए इसी डर से ज्यादे"अकेला"रह लेता हूं।               ------------- रचना स्वरचित एवं मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित। राम बहादुर राय "अकेला" भरौली, नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश

भोजपुरी

हमनी के माई --भोजपुरी ------------------------------------------ हमनी के माई- त -भोजपुरी ह‌वे एकरा मान रखल भी जरुरी हवे। एकरा से हमनी के पहचान बा ओही पहचान पर सब उतान बा। जे माई के साफ सुथरा रखले बा उ मिलियन भीऊ के मोहताज बा। ओकरा समाज ना खूब पहचान बा लेकिन उ माई भोजपुरी के शान बा। अजब गजब जमाना लउकत बाटे भोजपुरी के टंगियो अब टूटत बाटे। जे जेतना फूहर गावत बाटे मंच पर ओकरा ओतने नाम बा महफ़िल में। मिलियन भीऊ खातिर फूहर गावताड़े खूबे पईसा अउरी नामवो पावत बाड़न। जेतने उनकर जोर चलतबा माई पर उहे ओतने गरिया के स्टार बनताड़न। अब भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर जी का सोचत होईहें एकनी के बारे में। भरत शर्मा,शारदा सिन्हा, गोपाल राय मदन राय इहो लोग त गावते बाड़नजा। असली भोजपुरिया स्टार त इहे सब ह जे पईसा खाती फूहर पातर ना गवलें। केहू भोजपुरी के आपन थाती बतावेला केहू सिनेमा में अश्लील गाना गावतबा। का जमाना आईल ए भईया अब ........ ए लोग के "अकेला" भी ना सुन पावेला। जेकरा अंचरा में बईठि के छांह पावेलन ओकरे अंचरा के तार तार करत जातड़न। हमहूं एगो