पुरानी पेंशन अब बहाल करो

अभी त घर में छुपल हवुवा
वेतन पर सुतल हवुवा।

जब तूहूंवू रिटायर हो जईबा
सोचा हजार रूपया पईबा।

जाति-धर्म पार्टी का करी.....
जब बुढापा में ठोकर खईबा।

अबहीं भी धियान तूहूंवू द
ना त हाथ मलत रहि जईबा।

जवन पार्टी पुरानी पेंशन दीही
ओकरे के तूहूंवू जितईहा....

नयी पेंशन त पूरहर घोटाला ह
शेयर/जुआ ना समझि पईबा ‌।

सब भाई-बहिन आवा बन्धु संगे
पुरानी पेंशन फिर पा जईबा.....

अकेला चना भांड़ ना फोर सकै
वोट से चोट आपन देखाई दा।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली, नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश

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