तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान
तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान
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समय-समय के बात बा ,होला समय महान
अर्स मिले चाहे फर्स , होला एकसमान
काम नीमन कइके तूं,बनि जा अब सिरमौर
लेकिन कुछ ना करबऽ ,कहाई बुरा दौर।
ई कइसन समय बाटे , लागे सब बीमार
लोग घरां में बइठि के ,बनत बा चिड़ीमार।
दंभ में जे जियत रही, हाल रही बेहाल
सांच बहुत कठोर हऽ , तबो रही खुशहाल।
कटि रहल पेंड़ देखऽ , देखि लऽ अब हाल
गरमी से सब तंग बा ,जीवन बा बदहाल।
सब अपने में रहत बा ,सहत सहत आघात
घुटन के जिनगी जियता,तबो नइखे बुझात।
ई माया बाज़ार में , झूठन के दूकान
झूठे फलत फूलत बा , झूठ के बड़ मकान
दर-दयाद से तंग बा , तबो उ चले वितान
अपने से सब रंज बा,घर में गिरल चितान।
राम बहादुर समझऽ , इहंवो पाकिस्तान
तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान।
जाल-ताल लगवले बा, बइठल बा चुपचाप
नेह-छोह देखावता , जोहे आपन खाप।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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#जयभोजपुरी
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