Posts

Showing posts from December, 2023

प्रेम से उपर कुछ भइबे ना कइल

प्रेम से उपर कुछ भइबे ना कइल ----------------------------------------- बहुत घूमनी बहुत घूमि के देखनी तहरे जइसन केहू मिलबे ना कइल। तोहरा के देखि के लिखे बइठलीं का कहीं कुछवू बुझइबे ना कइल। सोचत-सोचत त सोचते रहि गइनीं तोहार याद कबो भूलइबे ना कइल। सुघराई के तोहरा का बखान करीं तोहरा के देखे के महसूसे ना भइल। हम परियन के कहनी सुनत रहनीं तोहरा आगे परी सोहइबे ना कइल। कलम लिखत-लिखत का लिखत कलम भी देखिके देखते रहि गइल। तोहरा बारे में सोचले से सोच बाटे एकरा आगे कुछ बुझइबे ना कइल। प्रेम सांच होखे ईश्वर के वास होला अब एसे उपर केहू गइबे ना कइल। नेह-छोह अइसन लागल तोहसे कि नेह-छोह, विछोह जनइबे ना कइल। ----------------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित। । राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

देखऽ मोर नैनन के सूख गइल लोर

देखऽ मोरे नैनन के सूख गइल लोर ------------------------------------------- झर -झर बहे हमरी अंखिया से लोर दिने से देखत-देखत हो गइल भोर। कवन कारनवा रावुर मन भइल थोर जिनिगी के हमरा रवुंए बानी अंजोर। टुकुर-टुकुर ताकिला हम चारू ओर हियरा तड़पे कब अइहें साजन मोर। लोराइल अंखिया सूखल देहिया मोर थकि हारी के देखीं राधा-कृष्ण ओर। अब जवन कहबऽ मानब बात तोर पल-पल पहाड़ लागे टूटल सब जोर। होतबा जियान जवन रहल सराबोर अबो आवऽ आसरा लागल बा मोर। काहें रिसियाइल बाड़ऽ तूं चितचोर देखऽ मोर नैनन के सूख गइल लोर। ----------------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित ।। राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

आनलाइन झूठ के मोटरी ले आइल

आनलाइन झूठ के मोटरी ले आइल:- -------------------------------------------- जब से जमाना भइल बा आनलाइन तबे से त लोगवा झूठ में बाटे लपेटाइल। केहू फोन से पूछेला हालचाल, पता घरवे से कहेला बहरी बानी हम आइल। केहू , केहुवे से मिलल भी चाहत बाटे फोने पर बतियावे अपने रहे लुकाइल। कवनो बड़ अदिमी जब घरे चलि आई उनसे मिले खातिर आवेला अंउजाइल। केहू कमज़ोर उनकरे से मिले आवेला गायबो भइल,खोजलो पर ना भेंटाइल। सबके नीमन जमाना रहल आफलाइन सब सांच बोले ,झूठ के जमाना आइल। लोग अपने जाल में अब फंसत जाता सब केहू झूठ बोलहीं में बा अंझुराइल।                       ---------------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित।। राम बहादुर राय भरौली, नरहीं, बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

माई शारदा कुछ सार दऽ

माई शारदा कुछ सार दऽ ------------------------------- हे वीणावादिनी माई शारदा माई शारदा हमके तार द कुछ सार दऽ! पुस्तक धारिणी माई शारदा माई शारदा हमके पुस्तक में लसार दऽ! वाणिश्वरी माई शारदा शक्ति माई शारदा हमरा वाणी में तूं शक्ति दऽ! हवू सिद्धिदात्री माई शारदा माई शारदा सिद्धि से अविद्या जारि दऽ! हवू वरदायिनी माई शारदा माई शारदा वर से हमरा के ढ़ांपि दऽ! हे देवी भगवती माई शारदा माई शारदा सार दऽ तार दऽ प्यार दऽ! हे हंसवाहिनी माई शारदा माई शारदा चरन में स्थान दऽ ज्ञान दऽ! भुवनेश्वरी जगदम्बे शारदा माई शारदा सेवक के गलती बिसार दऽ! -------------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित। । राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

हंसत खेलत जिनिगी जियान हो गइल

हंसत खेलत जिनगी जियान हो गइल ----------------------------------------------- जब से ओकर नैना चार हो गइल तब से उ गजल के किताब हो गइल! कइलस कुछवू , कुछ अउरी हो गइल मन खुश रहल दिल में बहार हो गइल! ओके बुझइबे ना कइल का हो गइल हंसत खेलत जिनगी जियान हो गइल! बतियावे अइसे कि पागल हो गइल उ ना जनलस कि हीर-रांझा हो गइल ! जेतने कोशिश भुलाये के करत गइल दुनिया के बुझाव कि पागल हो गइल! इश्क क ओकरा बड़ बेमारी हो गइल बुझाव अंतरिक्ष के सवारी हो गइल! ----------------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश