देखऽ मोर नैनन के सूख गइल लोर

देखऽ मोरे नैनन के सूख गइल लोर
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झर -झर बहे हमरी अंखिया से लोर
दिने से देखत-देखत हो गइल भोर।

कवन कारनवा रावुर मन भइल थोर
जिनिगी के हमरा रवुंए बानी अंजोर।

टुकुर-टुकुर ताकिला हम चारू ओर
हियरा तड़पे कब अइहें साजन मोर।

लोराइल अंखिया सूखल देहिया मोर
थकि हारी के देखीं राधा-कृष्ण ओर।

अब जवन कहबऽ मानब बात तोर
पल-पल पहाड़ लागे टूटल सब जोर।

होतबा जियान जवन रहल सराबोर
अबो आवऽ आसरा लागल बा मोर।

काहें रिसियाइल बाड़ऽ तूं चितचोर
देखऽ मोर नैनन के सूख गइल लोर।
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रचना स्वरचित,मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित ।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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