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Showing posts from April, 2024

एक दिन, दिन जैसे ढ़ल जाना है

एक दिन,दिन जैसे ढ़ल जाना है! --------------------------------------- बड़े होने पर क्यों इतराता है आखिर तुझे भी नीचे ही आना है। परिंदा भी आसमा में मड़राता है वह भी जमीन पर ही तो आता है। जिस धन दौलत का घमंड तुझे है कौन है जो उसे लेकर जाता है। धन-दौलत एक माया का खेल है सबको एक ही जगह तो जाना है। कितने भी उपर उठ जाओगे तुम एक दिन मिट्टी में ही मिल जाओगे। यहां कितने आये और चले गए सब कुछ तो यहीं पर छोड़ जाना है। कौन जानता है क्या होगा आगे मैं - मैं, तूं -तूं का क्या फ़साना है। ऐ परिंदे ! इतना गुरूर  मत करना साथ तो  तुम्हारा कर्म ही जाना है।  बहुत देखे हैं  सिकन्दर  हमने यहां  मुठ्ठी  खोल, यादें  लेकर  जाना है। धन-दौलत,  रिश्ते-नाते   बहाना हैं  प्रभु को  हमें   माया  में फसाना है। सत्य सनातन के  रास्ते पर चलकर आखिरी  मंजिल  मोक्ष ही पाना है। तुम धरती पर या आसमान में रहो  एक दिन, दिन जैसे  ढ़ल जाना है।                    -------------- राम बहादुर राय भरौली बलिया उत्तरप्रदेश

लइका-लइकी में अबो भेद होता

लइका-लइकी में अबो भेद होता --------------------------------------- बेटा-बेटी दूनो पढ़ावल जाता कहे खातिर एके कहलो जाता! लइकन के दहेज अबो मंगाता लइकिन के दहेज बढ़ले जाता! तिलक-दहेज खूबे बढ़ल जाता केतनो द देबऽ कम परि जाता! दूल्हा खोजे में पनही खियाइल बाबू जी के उमिरो घटले जाता! लइकी नोकरी करत खोजाता बाबू-माई अब नांवे के कहाता! एगो बियाह में छेगाड़ बेचाइल आगे खाति कुछ खेतो धराइल! लइकनो में भी करजे काढ़ाता बिगहा-बिगहा बेधड़क बेचाता! खेतवो के प्लाटिंग कइल जाता खेत-बेच के खूब बंगला गढ़ाता! लइका-लइकी बराबरो कहाता खेत बेचवा के दहेजो लियाता! बाबू-माई अब कंहवा पूछाता सासु-ससुर माई-बाबू कहाता! एइसने लोगवा बड़का कहाता कोख में बेटी के मारत जाता। दहेज ना लियाई कहलो जाता दहेजे खातिर जान हतल जाता। ------------------ राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

बड़ा होने के लिए बड़ा जिगर रख

बड़ा होने के लिए बड़ा जिगर रख। ------------------------------------------ बड़ा होने के लिए बड़ा जिगर रख बड़े तो बर्दाश्त करते हैं, तूं भी कर। तूं मदद करने का भी हौसला रख किसी को गिराओ नहीं,उठाया कर। जलने वालों की तादाद बहुत है जिसको जलता देखना,बचाया कर। नेकी कर लेकिन फूंक के कदम रख अपने व गैरौं में भेद समझा कर। फल लगे तो डालियां झुक जाती हैं बड़े हो पेंड़ जैसे झुक जाया कर। मदद करके किसी से उमीद मत रख मालिक देखता है ,तूं भरोसा कर। सोना हो तो जिगर फौलाद का रख बड़ा होना के लिए कुछ कुर्बान कर। बड़ा होने के लिए बड़ा जिगर रख बड़े तो बर्दाश्त करते हैं ,तूं भी कर। ---------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
सबसे धनवान देखा जब उसके पास गया मैने तो भगवान देखा  प्यार का भंडार देखा।  उसका चेहरा देखा उसका ईमान देखा सच्ची जुबान देखा। नहीं कभी रोते देखा न कभी मांगते देखा सबसे धनवान देखा। फंतासी के युग मे भी  दुपहर में तपते देखा। उसमें भगवान देखा उसके घर के रूप में पेड़ों की छांव देखा वहां मैं पूरा गांव देखा।  खेतों में ही उसके मैंने मानव का प्रान देखा खुशी का मचान देखा। अन्न की हर बाली में लहू को बेजुबान देखा लेकिन सम्मान देखा।  सोने जैसा तपते देखा खुद उसे गलते देखा अन्न में बदलते देखा। छेड़ दिया किसी ने तो उसको ही बरछी जैसे बड़ी तेज चलते देखा। प्यार से दो बोल बोलो मैंने एक देवता देखा सूखे रेत में पानी देखा। दुनिया में बहुत देखा  उसमें ही दुनिया देखा  आदमी में तपसी देखा।           ------------ राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश

जिस पर भरोसा किया उसी ने धोखा दिया

जिस पर भरोसा किया उसी ने धोखा दिया ----------------------------------------------------- एक बार भूल हो गयी , स्वयं मेरे से ही मैं ऐसे जा रहा था , रिश्तेदार मिल गया। अच्छी-अच्छी बातें किये,अपनापन दिखाये छांछ पर चढ़ाता गया, मैं भी चढ़ता गया। उसने रास्ता दिखाया , वो भी चक्रव्यूह था बताया रिश्ते में हूं, झांसे में आ गया। मेरी बेबसी पर तो , खूब ठहाका लगा इसको मैं फंसा दिया , अब फंसा करेगा। वो जब मुझे खुश देखा,खुशी ही छीन लिया छीनकर मेरा  सुकून,वह  खुश  होता गया।  वो जिसके पास जाता ,सम्मोहित कर लेता  जो गया शहद मिलाके,वो जहर पिला गया। तब से मैने रिश्ते को किंवंदंती समझ लिया  मैं नफ़रत खुशी वाली,इनकी पहचान गया। यह भूल मेरी ही थी, कि जाल में फंस गया  एक अजनबी ने मुझे , निकाला दलदल से। जहां पर भरोसा किया,जिसने अपना कहा  मुझे  वहीं धोखा मिला, धोखा खाता गया। अब मैने तय कर लिया ,न  मिलेंगे ऐसों से  हमारा प्यार से जीना, जो दुश्वार कर दिया।            ----------- राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश @followers

गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ नइखे

गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ त नाहिंये बा -------------------------------------------------- लाखन में अनगिनत में , गंहूंवे खड़ा बा अपन मुठ्ठी बंन्हले बा ,भाल के तनले बा! फौज नियन हौसला बा, मरे खाति खड़ा बा सरद-गरम में रहत बा ,धूप-छांव सहत बा! पशु पक्षी के ढ़ोवत बा,कुछ नाहीं कहत बा सब राती में सुतत बा, गंहूं कब सुतत बा! हरियर कचनार जब बा ,उहे भुंजातो बा लेहना-उमी बनत बा, सब दुखवो सहत बा! एक बिया बोयात बा,सौ-सौ गो मिलत बा खाद-पानी मिलि चाहे ,आखरो जियते बा! पाकला पर कटे खाति,झुकिये के खाड़ बा अब बिनु मोह-माया के ,जरि से कटात बा! तनिको उफ ना करेला, दरद भले सहत बा माटिये पर सुततो बा, खूब कचरातो बा! ओही घाम में सहता , थ्रेसर में रौंदत बा हमके बोरा मे ठूंसि , ठेला प ढ़ोवत बा! धोई के आ फटक के , बेदर्दी पिसतो बा आंटा के गूंथते बा, आगि पर जारत बा! सबका खातिर मरत बा, सब केहू तरत बा बेचारवा हहरत बा , दर्द से कंहरत बा! अहरा पर सभे धरता ,रोटियो सेंकत बा गंहूं सब त्याग करता , तबो नाम कहां बा! आशीर्वाद नांवे बा, त्याग सब भुलात बा ई संतोषी का करो,उठि-

हमके बचावऽ ए मइया

हमके बचावऽ ए मइया..... ------------------------------- आइल बानी मइया हमहूं गिरल बानी रवुरे दुवरिया! केहू नाहीं समझे हमके भटकीले गंवुआ ,नगरिया! रोवत बानी मइया हमहूं उठा देंईं हमरे पगरिया! बुझात नइखे कुछू हमके जाईं हमहूं कवन डगरिया! फंसल बानी मइया हमहूं गिरल बानी रवुरे दुवरिया! लउके नाहीं रहिया कवनो भटकतानी दिने दुपहरिया! आइल बानी मइया हमहूं अथेघ परल रवुरे मुवरिया! देखि-देखि हंसे दुशुमनवा बोलेला हरदम कुबोलिया! बेंवत नइखे मइया हमरो मरब जियब रवुरे दुवरिया! -------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ त नाहिंये बा

गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ त नाहिंये बा -------------------------------------------------- लाखन में अनगिनत में , गंहूंवे खड़ा बा अपन मुठ्ठी बंन्हले बा ,भाल के तनले बा! फौज नियन हौसला बा, मरे खाति खड़ा बा सरद-गरम में रहत बा ,धूप-छांव सहत बा! पशु पक्षी के ढ़ोवत बा,कुछ नाहीं कहत बा सब राती में सुतत बा, गंहूं कब सुतत बा! हरियर कचनार जब बा ,उहे भुंजातो बा लेहना-उमी बनत बा, सब दुखवो सहत बा! एक बिया बोयात बा,सौ-सौ गो मिलत बा खाद-पानी मिलि चाहे ,आखरो जियते बा! पाकला पर कटे खाति,झुकिये के खाड़ बा अब बिनु मोह-माया के ,जरि से कटात बा! तनिको उफ ना करेला, दरद भले सहत बा माटिये पर सुततो बा, खूब कचरातो बा! ओही घाम में सहता , थ्रेसर में रौंदत बा हमके बोरा मे ठूंसि , ठेला प ढ़ोवत बा! धोई के आ फटक के , बेदर्दी पिसतो बा आंटा के गूंथते बा, आगि पर जारत बा! सबका खातिर मरत बा, सब केहू तरत बा बेचारवा हहरत बा , दर्द से कंहरत बा! अहरा पर सभे धरता ,रोटियो सेंकत बा गंहूं सब त्याग करता , तबो  नाम कहां बा! आशीर्वाद  नांवे  बा, त्याग सब भुलात बा ई संतोषी का  करो,उठि-

जियते मुवे के मोहाल कइलऽ बलमू

जियते,मुवे के मोहाल कइलऽ बलमू -------------------------------------------- कवना डगरिया हेराई गइलऽ बलमू हमके छोड़ि के पराई गइलऽ बलमू! दिन-रात तोहरो सेवा हमहूं कइनी आपनो जिनिगी तोहार हमहूं कइनी! कवना बृछिया लुकाई गइलऽ बलमू संवसे जिनिगीअन्हार कइलऽ बलमू! तोहारा के अपना हियरा में रखनी सोनवो से बढ़िके तोहके हम जननीं! जियहूं के आसरा छिन लेलऽ बलमू जियते देहिंया मराछ कइलऽ बलमू! कवने जनमवा के पाप हमके लागल हमरे जिनिगी हमरे के छोड़ी भागल! रहनीं बिहाने ,अन्हार कइलऽ बलमू जियते,मुवे क मोहाल कइलऽ बलमू! ------------------ राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

बात पुरानी ही वह करते हैं

बात पुरानी ही वह कहते हैं!!! ------------------------------------- भूखे जब पेट की बात करते हैं भरे पेट वाले नहीं समझ पाते! भूल जाते हैं उन पुरानी यादों में हर नई को वो पुरानी समझते हैं! बड़े कसाला से जो मिला है मुझे उसका भी नाफरमानी करते हैं! ज़रा सा हमने लहज़ा क्या बदला जंग हमसे खूब जुबानी करते हैं! मानो ज़ख्म को भूल भी जाते हैं पर बात पुरानी ही वह कहते हैं! मैं दुःख-दर्द भी उन्हे बता देता हूं भरे बाज़ार में मज़ाक उड़ाते हैं! संजोग नहीं धूप-छांव का खेल है हवा के रुख पे दीप उछल बैठता! थोड़ा सा छलकेगा फिर रहने दो बर्तन दूध का उबल के बैठता है! ------------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश @followers

सब केहू अपने से भइल लाचार बा

सब केहू अपने से भइल लाचार बा --------------------------------------------- सब केहू अपने से भइल लाचार बा दूसरा के देखि देखि दुखी अपार बा। सब लड़िकन के मोबाइले आधार बा करे कुछ नाहीं ,आदत से लाचार बा। पढ़े-लिखे खाती घर से भेजल बाड़न फेसबुक ,इंस्टा,वाटसप देखत बाड़न। पढ़े के नाम पर आनलाइन पढ़त बा दिनो-राती धुंआधार चैटिंग करत बा। मांई बाप कर्जा काढ़ि खर्चा भेजेला एक-एक .दिन उनके आस में रहेला। बबुवा खूब महंगा कपड़ा पहिरतबा रायल इन्फील्ड से सहरिया घूमतबा। कबो होटल, कबो यारे केहें खालन भोजपुरी जानसु ,अंग्रेजी झारेलन। सांगह भुलाई के मटरगस्ती होत बा कई-कई गो  लड़की फ्रेंड बनवले बा। उपर से  चूमचाम भीतर  से दराजल बोले  जइसे असाढ़  के बूनी बाजल।  माई-बाप से धोखा छुप के करत बा माई बाप भरोसा  के आस करत बा। अन्त में लवटि के ओही गंवुए अइहें  बांचल भरोसा खूबे बइठि के खइहें।               -------------------- @राम बहादुर राय  भरोली,बलिया,उत्तर प्रदेश  @followers

रहि रहि के गंवुवा के याद सतावेला

रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला! ---------------------------------------- रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला हमके सहरिया मनहीं ना भावेला! एके टक ताके आम के टिकोरवा तरइ करे गहगह महुवा के फेंड़वा लठ्ठ लेके छंवुकत गांव के बेटवुवा जेठ दुपहरिया में पिपर के छंवुवा। रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला सहर में पंखा कूलर अकड़ावेला अगल-बगल केहू ना बतियावेला कइके बड़ाई बुरबको बनावेला। नेह-छोह के पिरितिया गंवुए बाटे दुख-सुख के सभे आपुसे के बांटे कमी कुछ होखे त सब केहू आंटे गलती मिलला पर सब केहू डांटे। रहि रहि गंवुवा के याद सतावेला सहर के जिनिगी मने ना भावेला! गांव के जिनगी नेह बरिसावेला अंगना-दुवार सभके हरसावेला प्यार खूबे बांटि के प्यार पावेला अपइ-निपयी के गुजरो करावेला। गंवुए सभकर बोझवो उठावेला प्रीत के जोरन गंवुए बनावेला सभकर हियरा गंवुए जुड़वावेला लहकल आग के गंवुए बुतावेला। रहि रहि गंवुवा के याद सतावेला सहर के जिनिगी मने ना भावेला! ---------------- @राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

आंख मूंद लेने से सच नहीं बदलता

आंख मूद लेने से सच नहीं बदलता ------------------------------------------ चुप रहने से कोई लाचार नहीं होता बोलने से कोई सरदार नहीं होता। बोलने व चुप रहने का वक्त होता है वक्त को समझना आसां नहीं होता। बड़ी जालिम है ये खूबसूरत दुनिया बिना स्वार्थ दुआ सलाम नहीं होता। देखने पर बहुत प्रसन्न नजर आते हैं मगर सबका सुखी संसार नहीं होता। हर आदमी जैसा दिखता,नहीं होता क्यूंकि हर आदमी इन्सां नहीं होता। चलने के लिए तो सभी चलते ही हैं सत्य पर चलना आसान नहीं होता। क्रोध में कुछ भी बोलना आसान है बर्दाश्त कर लेना आसां नहीं होता। आंख मूंद लेने से सच नहीं बदलता जो बड़ा है वह बदजुबान नहीं होता। राह चलने पर मुश्किलें भी आयेगी बिना परिश्रम कोई काम नहीं होता। झुंड बनाकर सिंह को घेर सकते हो मुकाबला करना आसान नहीं होता। -------------------- @राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

ए माई अबो ले आवऽ

ए माई अबो ले आवऽ -------------------------- ढ़ेर भइल बाड़न दुशुमनवा मिटावतरन नामवा, निउज-भिउज के पावे खातिर गन्दा गावे गानवा। फूहर-पातर गावत गाइके बदनाम करत बाड़न, ई भोजपुरी के दुशुमनवा मिटावतरन नामवा। चीरहरन कइले दुहसासन चलता ओकरे सासन, तंग करताड़न राछाछवा बढ़ल अत्याचारवा। आइल नवरात्र ए मइया आके अब बचावऽ, अपना भगता के सिखावऽ खाली बा आसनवा। जइसने बाड़न लिखवईया गंध मचवले गवइया, चिर उधियावे आयोजकवा भोजपुरिया असुरवा। भोजपुरी गोहरावत हई माई अब तूं आवऽ, बलात्कारियन से बचावऽ बचावऽ परानवा। --------------- @राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश  @followers

गूंगे बहरों के सभागार में

कुछ बोलें गूंगे-बहरों के सभागार में कुछ बोलने की आजादी सीधा इसका अर्थ यही है समय,शब्दों की बर्बादी! आइये‌ कुछ कहें वहां,जहां पर सही बातों का सम्मान हो पोथी को सही अर्थों में पढ़ने की वो आंख मिले! बोलें हम जन सामान्य की भाषा पूरी हो सारी अभिलाषा खास नहीं है कोई बाकी बोलें भाषा की मां मिले! तोड़ दो वैसी भाषा को, जिससे लोग गूंगे-बहरे बनते हैं उठते हुए मस्तकों को भाषायें झुकाती मिले! जगा दो अन्तर्मन में वर्तमान को हां डूब न जाय यहां वह जो है कलम का सिपाही कलम को आजादी मिले! @राम बहादुर राय भरौली,उत्तर प्रदेश

रहि रहि याद आवेला

रहि-रहि याद आवेला -------------------------- मनवा कुंवारे बाटे , देहियां सोन्हाइल रहीं तोहरे याद में ,तोहर याद आइल। तोहार प्यार दिल के,नस-नस में समाइल दूरो कहीं रहलऽ त ,हमरा ना बुझाइल। आसरा लागल बाटे,बात समझ में आइल सांस में घुलल बाड़ऽ ,प्यार में रंगाइल। तोहरा बिनु जिनिगी , हमार अंझुराइल दिन-रात एकही रहे ,हमरा ना बुझाइल। सोझा तूहूं रहलऽ,मन रहे रिन्हाइल मन मोरा पंछी भइल,रहत बा जहुआइल। कुछवू बुझाते नइखे ,हंसीं की अब रोईं केकरा से कहीं कुछू ,मनवा अंउजाइल। रहि-रहि याद आवेला,काटऽ जब मुसुकी याद में रोंई, सिसुकी ,बानी तड़फड़ाइल।   ---------- @राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

तुम्ही से उर्जस्वित हम

तुम्ही से उर्जस्वित हम --------------------------- तुझे देखकर खुश होते हैं तुम खुश रहो हर रोज जितना ही भागोगे हमसे नहीं है मेरा जोड़! तुझे चाहने वाले होंगे मुझे है तेरा रोग चांद-सितारे तोड़ लायेंगे देंगे विपत्ति में छोड़! जब किसी की होगी जरूरत मिलेंगे हम हर रोज अभी समझ नहीं पाओगे जीवन में बहुत मोड़! कभी भी मुझे देखोगे तुम हर जगह मिलेंगे हम मेरा प्रेम कोरा कागज है तुम्ही पर देंगे छोड़! आरजू है तुम समझो मुझे तुम्ही से उर्जस्वित हम सिर्फ तुम्हारे भरोसे हूं मैं मुझे दो कोई मोड़!! ---------------- @राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers

गांव बाटे छटपटात!!!

गांव बाटे छटपटात ------------------------- पहिले गांव गांव रहल डांड़-मेंढ़,आ धूर रिंग रोड कहीं ना रहल रहे भरल बस प्रेम! नेह सींचल रहे राह प्रीत के बरसात सड़क मिले गांवे जात गांव से करत बात! गांव सिवान चहचहात उमड़त मिले मिठास जहां मुर्गा करे बिहान कोयल गावे गान! थपकी ममता के प्यार लोरी करे दुलार जहां मां कहाली गाय महादेव बरध कहास! कीच-कांच भरल दुवार दूध-दही सब खाव होली में गवाला फाग उड़े अबीर गुलाल! गांव के हाल बेहाल सब सड़क सहर जाव सब सहर के धइल राह उहे भइल हुंसियार! गांव बाटे छटपटात गंवुओं बा कुम्हिलात  सम्बन्ध चलेला बलात  गंवुवा दरकल जात!       --------------- @राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश  @followers

दुनिया से जीत के अपने से हारेला

दुनिया से जीत के अपने से हारेला!!! ---------------------------------------------- लउके नाहीं दरद ,जनिह उहे बुझाला जवने ऊंचा लउके ,उहे ले जाई खाला! आपन सब देखता ,स्वार्थ में परल बाटे दूसरो कइल काम,अपने के कहत बाटे! सेमर नियन टह-टह,काम नाहीं आवेला बोलचाल में नीक,उ छांछ पर चढ़ावेला! दूसरा के लोर पर ,अपनो लोर बरिसावे अपने गिरत जाला, दूसरको के गिरावे! जहां देखऽ उहां, अपने बांहिं भांजेला दूसर आगे बढ़ल, कुछू नाहीं बोलेला! गजबे जमाना बा , सब केहू हिते बाटे ढ़ूका लगवले बा ,करेजवे उ काटत बा! दुनिया से जीति के ,अपनहीं से हारेला जेहिके बूझबऽ , अब उहे फुंफकारेला! कुछ घाव होखेला,कहीं नाहीं लउकेला कहियो ना पइबऽ,नासूर बनि सालेला! ---------------------- @राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @followers