गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ त नाहिंये बा
गंहूं के त्याग के कवनो जोड़ त नाहिंये बा
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लाखन में अनगिनत में , गंहूंवे खड़ा बा
अपन मुठ्ठी बंन्हले बा ,भाल के तनले बा!
फौज नियन हौसला बा, मरे खाति खड़ा बा
सरद-गरम में रहत बा ,धूप-छांव सहत बा!
पशु पक्षी के ढ़ोवत बा,कुछ नाहीं कहत बा
सब राती में सुतत बा, गंहूं कब सुतत बा!
हरियर कचनार जब बा ,उहे भुंजातो बा
लेहना-उमी बनत बा, सब दुखवो सहत बा!
एक बिया बोयात बा,सौ-सौ गो मिलत बा
खाद-पानी मिलि चाहे ,आखरो जियते बा!
पाकला पर कटे खाति,झुकिये के खाड़ बा
अब बिनु मोह-माया के ,जरि से कटात बा!
तनिको उफ ना करेला, दरद भले सहत बा
माटिये पर सुततो बा, खूब कचरातो बा!
ओही घाम में सहता , थ्रेसर में रौंदत बा
हमके बोरा मे ठूंसि , ठेला प ढ़ोवत बा!
धोई के आ फटक के , बेदर्दी पिसतो बा
आंटा के गूंथते बा, आगि पर जारत बा!
सबका खातिर मरत बा, सब केहू तरत बा
बेचारवा हहरत बा , दर्द से कंहरत बा!
अहरा पर सभे धरता ,रोटियो सेंकत बा
गंहूं सब त्याग करता , तबो नाम कहां बा!
आशीर्वाद नांवे बा, त्याग सब भुलात बा
ई संतोषी का करो,उठि-सुती कटात बा!
तुहीं आहार बाड़ऽ , तूं भगवान बाड़ऽ
बारं-बार प्रणाम बा ,फेर से प्रणाम बा!
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रचना स्वरचित अउरी मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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