आंख मूंद लेने से सच नहीं बदलता
आंख मूद लेने से सच नहीं बदलता
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चुप रहने से कोई लाचार नहीं होता
बोलने से कोई सरदार नहीं होता।
बोलने व चुप रहने का वक्त होता है
वक्त को समझना आसां नहीं होता।
बड़ी जालिम है ये खूबसूरत दुनिया
बिना स्वार्थ दुआ सलाम नहीं होता।
देखने पर बहुत प्रसन्न नजर आते हैं
मगर सबका सुखी संसार नहीं होता।
हर आदमी जैसा दिखता,नहीं होता
क्यूंकि हर आदमी इन्सां नहीं होता।
चलने के लिए तो सभी चलते ही हैं
सत्य पर चलना आसान नहीं होता।
क्रोध में कुछ भी बोलना आसान है
बर्दाश्त कर लेना आसां नहीं होता।
आंख मूंद लेने से सच नहीं बदलता
जो बड़ा है वह बदजुबान नहीं होता।
राह चलने पर मुश्किलें भी आयेगी
बिना परिश्रम कोई काम नहीं होता।
झुंड बनाकर सिंह को घेर सकते हो
मुकाबला करना आसान नहीं होता।
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@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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