लइका-लइकी में अबो भेद होता

लइका-लइकी में अबो भेद होता
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बेटा-बेटी दूनो पढ़ावल जाता
कहे खातिर एके कहलो जाता!

लइकन के दहेज अबो मंगाता
लइकिन के दहेज बढ़ले जाता!

तिलक-दहेज खूबे बढ़ल जाता
केतनो द देबऽ कम परि जाता!

दूल्हा खोजे में पनही खियाइल
बाबू जी के उमिरो घटले जाता!

लइकी नोकरी करत खोजाता
बाबू-माई अब नांवे के कहाता!

एगो बियाह में छेगाड़ बेचाइल
आगे खाति कुछ खेतो धराइल!

लइकनो में भी करजे काढ़ाता
बिगहा-बिगहा बेधड़क बेचाता!

खेतवो के प्लाटिंग कइल जाता
खेत-बेच के खूब बंगला गढ़ाता!

लइका-लइकी बराबरो कहाता
खेत बेचवा के दहेजो लियाता!

बाबू-माई अब कंहवा पूछाता
सासु-ससुर माई-बाबू कहाता!

एइसने लोगवा बड़का कहाता
कोख में बेटी के मारत जाता।

दहेज ना लियाई कहलो जाता
दहेजे खातिर जान हतल जाता।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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