सबसे धनवान देखा
जब उसके पास गया
मैने तो भगवान देखा 
प्यार का भंडार देखा। 

उसका चेहरा देखा
उसका ईमान देखा
सच्ची जुबान देखा।

नहीं कभी रोते देखा
न कभी मांगते देखा
सबसे धनवान देखा।

फंतासी के युग मे भी 
दुपहर में तपते देखा।
उसमें भगवान देखा

उसके घर के रूप में
पेड़ों की छांव देखा
वहां मैं पूरा गांव देखा। 

खेतों में ही उसके मैंने
मानव का प्रान देखा
खुशी का मचान देखा।

अन्न की हर बाली में
लहू को बेजुबान देखा
लेकिन सम्मान देखा। 

सोने जैसा तपते देखा
खुद उसे गलते देखा
अन्न में बदलते देखा।

छेड़ दिया किसी ने तो
उसको ही बरछी जैसे
बड़ी तेज चलते देखा।

प्यार से दो बोल बोलो
मैंने एक देवता देखा
सूखे रेत में पानी देखा।

दुनिया में बहुत देखा 
उसमें ही दुनिया देखा 
आदमी में तपसी देखा।
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राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश

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