रहि रहि याद आवेला

रहि-रहि याद आवेला
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मनवा कुंवारे बाटे , देहियां सोन्हाइल
रहीं तोहरे याद में ,तोहर याद आइल।

तोहार प्यार दिल के,नस-नस में समाइल
दूरो कहीं रहलऽ त ,हमरा ना बुझाइल।

आसरा लागल बाटे,बात समझ में आइल
सांस में घुलल बाड़ऽ ,प्यार में रंगाइल।

तोहरा बिनु जिनिगी , हमार अंझुराइल
दिन-रात एकही रहे ,हमरा ना बुझाइल।

सोझा तूहूं रहलऽ,मन रहे रिन्हाइल
मन मोरा पंछी भइल,रहत बा जहुआइल।

कुछवू बुझाते नइखे ,हंसीं की अब रोईं
केकरा से कहीं कुछू ,मनवा अंउजाइल।

रहि-रहि याद आवेला,काटऽ जब मुसुकी
याद में रोंई, सिसुकी ,बानी तड़फड़ाइल।
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@राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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