रहि रहि के गंवुवा के याद सतावेला

रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला!
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रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला
हमके सहरिया मनहीं ना भावेला!

एके टक ताके आम के टिकोरवा
तरइ करे गहगह महुवा के फेंड़वा
लठ्ठ लेके छंवुकत गांव के बेटवुवा
जेठ दुपहरिया में पिपर के छंवुवा।

रहि-रहि गंवुवा के याद सतावेला
सहर में पंखा कूलर अकड़ावेला
अगल-बगल केहू ना बतियावेला
कइके बड़ाई बुरबको बनावेला।

नेह-छोह के पिरितिया गंवुए बाटे
दुख-सुख के सभे आपुसे के बांटे
कमी कुछ होखे त सब केहू आंटे
गलती मिलला पर सब केहू डांटे।

रहि रहि गंवुवा के याद सतावेला
सहर के जिनिगी मने ना भावेला!

गांव के जिनगी नेह बरिसावेला
अंगना-दुवार सभके हरसावेला
प्यार खूबे बांटि के प्यार पावेला
अपइ-निपयी के गुजरो करावेला।

गंवुए सभकर बोझवो उठावेला
प्रीत के जोरन गंवुए बनावेला
सभकर हियरा गंवुए जुड़वावेला
लहकल आग के गंवुए बुतावेला।

रहि रहि गंवुवा के याद सतावेला
सहर के जिनिगी मने ना भावेला!

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@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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