आनलाइन झूठ के मोटरी ले आइल

आनलाइन झूठ के मोटरी ले आइल:-
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जब से जमाना भइल बा आनलाइन
तबे से त लोगवा झूठ में बाटे लपेटाइल।

केहू फोन से पूछेला हालचाल, पता
घरवे से कहेला बहरी बानी हम आइल।

केहू , केहुवे से मिलल भी चाहत बाटे
फोने पर बतियावे अपने रहे लुकाइल।

कवनो बड़ अदिमी जब घरे चलि आई
उनसे मिले खातिर आवेला अंउजाइल।

केहू कमज़ोर उनकरे से मिले आवेला
गायबो भइल,खोजलो पर ना भेंटाइल।

सबके नीमन जमाना रहल आफलाइन
सब सांच बोले ,झूठ के जमाना आइल।

लोग अपने जाल में अब फंसत जाता
सब केहू झूठ बोलहीं में बा अंझुराइल।
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रचना स्वरचित,मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली, नरहीं, बलिया,उत्तर प्रदेश
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