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हरदम तूंहीं याद आवेलू

कि तूहीं याद आवेलू!!! --------------------------- बड़ा नीक लागेला, दंतवा से ओठवा दबाके, लजाईल देखावेलू, केतना कहर बरपावेलू!!! तोहरा के देखिला, हम मदहोश होई जाइला, कइसे कहीं ए गोरिया, तन-मन के झनझनावेलू!!! का तोहके बुझाला, कि कूछू समझि ना पावेलू, दूरा से ओठे हिलावेलू, कुछू कहियो ना पावेलू!!! टुकुर टुकुर ताकेलू, हमरा दिलवा में का बाटे, तूं कहंवा जानि पावेलू, कि तूहीं याद आवेलू!!! मृग जइसन नैना बा, कनखी से बान चलावेलू, हमरी सूखले नेहिया पर, काहें बिजुरी गिरावेलू!!! कुछू बुझात नईखे, तहार मुस्की ओरात नइखे, देखते मनवा ओल्हि जाला, ई कवन नशा करावेलू!!! कवन खता कइनी हम, काहें मुवाके जियावेलू, अंखियां से निंनिया चोराके, काहें सुख-चैन उड़ावेलू!!! ---------- रचना स्वरचित,मौलिक @सर्वाधिकार सुरक्षित राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश @followers @viral