गंवुवा के जिनगी बचाव मोरे भइया

गंवुवा क जिनगी बचाव मोरे भइया।।
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चलत बा जिनगिया उधार मोरे भइया
बहुत याद आवेला पहिलका समइया।

खेत-खरिहानी सब संगवे जात रहल
बोवे के बेरि आर-कोन कोड़ात रहल।

दुवरा पर कुदे बछवा देखते मइया
मेंक-मेंक करे, धवुरे मारत कलइया।

अन्न-धन से भरले रहे घरवा-दुवरवा
टन-मन रहते रहले भइया किसनवा।

होत भोरहरिया गीत सुनावे चिरइया
गीता-मानस होखे दुवार अगनइया।

लाल-ललछहूं लाठी कन्हिया पर धरे
कामदेव भी इरखा में देखि के जरे।

हरियर कचनार रहल खेतवा सरेहिया
रेंड़त बालिया झांके जइसे दुल्हिनिया।

लह-लह लहरे देखत खेतन में खुसिया
बिहंसे किसान देखे सोना क बालिया।

पिपर के गांछि केहें मिले ए.सी.क हवा
छलके गतरे-गतर नेह छोह के दवा।

दूध-मलाई चांपत रहे कुकुर बिलइया
अब गइये-भंइ सपना भइल ए भइया।

त कड़े-कड़े कवुआ नबाव क बेटवुवा
लुटि लिहलस सहरिये हमनी के गंवुवा।

नाहीं रहल गंवुवा ना त बनल सहरिया
छूटत नइखे हमसे गांव के मयरिया।

चलत बा जिनगिया उधार मोरे भइया
गंवुवा क जिनगी बचाव मोरे भइया।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#highlights भोजपुरी

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