आज के कवि एवं उनकी कविता

आज के कवि एवं कविता

एअर कंडीशन में बैठकर जंक फूड खाते खूब।
बागों के झुरमुट से रहे सदा अंजान से
लिखते कविता जरूर मगर कविता होती गद्य।
कभी खेतों में पांव न रखा रिश्तों से विरान।
वो बैठकर लंदन में कविता करते नहीं है कोई ज्ञान।
ये तो पैसे वाले हैं भला क्या जाने संवेदना का नाम।
 रैंप पर कैटवॉक करना देखकर पहनने सीखा वस्त्र।
इज्जत आबरू क्या पता केवल पैसा इनका अस्त्र।
हंसकर चलते बड़े शान से क्योंकि खुले हैं अधोवस्त्र।
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान।
हमने तो यही पढ़ा था रिश्तों का रहता था बहुत मान।
अब ये परदेशी कविता लिखें जैसे चले हवाई जहाज।

"मैं एक दिन जा रहा था,
रास्ते में एक आदमी मिला।
वह बीमार था रो भी रहा था।
पता किया उसकी पत्नी नहीं थी।
हमने उसे वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा दिया।
मैं भी NRI हूं मैं भी वहीं तो रहता हूं।

एक और उदाहरण भी मेरे पास-

वह उसे प्रेम करता था
वो उससे प्रेम करती थी
मैं उसे जानता ही था
वो भी मुझे जानती थी
वे अलग रहते थे
मैं भी अलग रहती थी
कभी कभी मिलते थे
वो भी रेस्तरां में
और भी ऐसा ही...........

राम बहादुर राय"अकेला"
भरौली नरही बलिया उत्तर प्रदेश
पिन कोड-277501

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