सावन के महीना------
सावन के महीना------
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सावन के महिनवा में हो
बरिसे बदरा घनघोर।
चलेललन किसान भईया
भोरहीं खेतवा के ओर।
लहर लहर लहरातबाटे
खेत में धनवा पुरजोर।
हरियर हरियर कचनार बा
पनिया मारेला हिलोर।
गीत गावेलिन बनिहरिनिया
धनवा सोहत के बेर।
सन सनन बहेले पुरवईया
बिंहसेला तब मनवा मोर।
हरियर हरियर धान पतईया
जईसे धानी चुनर ह मोर।
गावेले तब किसनवा भईया
घटा घेरेला जब घनघोर।
घरवा में बईठल बहुरिया
देखेलि पिउ के चहुंओर।
पियवा के देखेली आवत त
हियवा में होखेला अंजोर।
ओसरवा में बईठल उ ननदी
मजा करेली हमसे पुरजोर।
आवतरे भईया हमरो भऊजी
होई जाई तोहरो मन मोर।
ओरिया के पानी बड़ेरा धईलस
खेतिहर के ना बा कौनो ठौर।
सुतला पर टपर टपर चुवेतबा
खपरैलवा से छावल घरवा।
रहि रहि डर लागेलतबा ननदो
काली बदरिया बाटे घनघोर।
कहवां रहिहन गइया औरू बैला
कइसे पाकी भोजन एहि ठौर।
काका -काकी कहेले कहनियां
खींचतारे गुड़गुड़वा भरिजोर ।
रतिया में मेघवा बरिसतबाड़न
डर लगे"अकेला"होखे अंजोर।
चाहे घटा घेरे चाहे बरिसे बदरिया
किसनवा चलेले खेतवा के ओर।
जहंवा देखा उहंवा हरियर हरियर
सबकर हियरा भईल चितचोर।
सावन महिनवां में मन मयूर डोले
कजरी,झूलूहा में जियरा मोर।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली,नरहीं,उत्तरप्रदेश,बलिया,
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