कुछवू ना बदलल

ना बदलल कुछवू-----------
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छोटे पर से हमहूं देखतबानी
बहुत कुछ त सुनलहूंबानी।

अबकी बार ही हमके देखा
हमहीं कर देहब बेड़ापार‌।

खलसा एक बेरी हमरा के
जिता के देख लेईंजा सभे।

जवन जवन नईखे भईल
उ सब कुछ हम कर देईब।

पानी, बिजुरी औरु सड़क
हम छने भर में सोझियाईब।

जवन बा ओके ठीक करब
जे नईखे भईल उ कर देब।

इहे देखत अब उमीर बीतल
उहे बा सब कुछो ना छूटल।

जे जंहवां पवलस उ उहंवे से
दूनो हाथे जम के खूब लूटल।

हं इ जरूर भईल बा हर जगह
केहू जुटल केहू के गांव छूटल।

जइसन जेकर रहन रहल अब
ठीक ओसहीं बा नाहिंये छूटल।

जेकर पावे ओकर चुपे लूटल
कमजोर जे होखे ओके कूटल।

आपन खेतवा जोतातो नईखे
दोसरा के देखिके ओपर टूटल।

जेकर लरिकवा हूंफे ओहपर
उ दोसरा शिकाइत में जुटल।

जेकर कुख्यात बा सगरो चरितर
उहे बनत फिरेला सबसे पवितर।

जे जेतना फेंकेवाला फेंकवईया
उहबा"अकेला"फसल कटवईया‌।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली,नरहीं,बलिया,उत्तरप्रदेश,

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