हम त डेराईये गईनीं
हम त डेराईये गईलीं--
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एगो हमरे संगवईया बाड़ेन
भोजपुरी में बोलत रहलन।
कुछ दिन उ शहर में रहलन
गांवे अंग्रेजी झारे लगलन।
हम त अब डेराईये गईलीं
ई कवन बोल बोले लगलन।
कुछ दिन पहिले ठीक रहले
ई हमरे भाषा बोलत रहलन।
सब लोग अब कहे लगलन
कवनो डगडर के देखावेके।
आखिर इनका का भईल ज्ञबा
भाषा, परिभाषा बदलि गईल।
जेह अदिमी रवुआ, आप कहे
अब यू, तुम तड़ाक कहे लागल।
अब गांव के सरपंच भेटईलन
उ इनकर सब बात सुन लिहले।
फिर अपन फईसला सुनवलन
कि बड़ बने के बेमारी लगल बा।
अब ई एह जोन्ही के ना हवुवन
ई अब एडवांस हो गईल बाड़न।
एडवांस लोगन के बात दोसर ह
ई गिरगिट जईसन रंग बदलेलन।
अब कल छपट से भरल बाड़न
सलाई रिंच नियर फिट हो जाले।
जब केहू के डेरवावे के होखेला
त ई लोग अंग्रेजी बोले लागेलन।
अब त भोजपुरियो ना अंग्रेजी में
बोलिके परभाव जमावे लगलन।
गांव घर से सब ले जाये लगलन
गंवुवे के शिकाईत सुनावे लगले।
हम पहिले के बात याद परवनीं
हमके"अकेला"ही डेरवावे लगलन।
हम बेरी बेरी ई सोचते रहि गईलीं
फिरंगिन के सोच मन डेराये लागल।
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राम बहादुर राय" अकेला"
भरौली,नरहीं,बलिया,उत्तरप्रदेश
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