कोरोना के कुप्रभाव
अईसन बाटे कोरोनवा आईल
खतम भई गईल बा कमाई।
सब केहू बाटे अब बेमराईल
चूलही में बाड़नजा लुकाईल।
रोजगार धनधा मराई गईले
मंहगाई भई गईली डाईन।
सब केहू चलत बाटे अईसे
जैसे बा कुजाति निकलाईल।
अब का खईहन गरीबवा हो
मजदूरियो त गईल मराई हो
जे शहरियन में फंसि गईल रहे
जियत मुवत कइसहूं आईल।
ठेला ठेली लगावत रहल जे
उ ठेलवो अब गईल ह बिकाई ।
तनियोमनी टुकटुकाये लगलन
त फिरो दूसरो लहर आईल बा।
अब बुझाता रहे कि सब ठीक ह
त ई तिसरका लहर सुनाईल बा।
लोगवन के लाश भईल बिछौना
नेताजी के चुनाव भरभराईल बा।
केहू ना बा सुनवईया गरीबन के
वोटवे के बेरी सब पुछवईया बा।
बड़ा नीमन नारा दिहलन नेता जी
घरवे में रहिके सुरक्षित रहबिजा।
केहू" अकेला" में आके ई ना पूछे
बिन मजदूरी बैठल का खाईंजा।
जेकरा धन संपत्ति भरल बा घरवा
उ का जानी हाल हम गरीबवन के।
लाल लहकार देखे पेट नाहीं भरी हो
घरवा में नईखे कुछो एको छटाक जी।
ए कोरोनवा तूं मर्की परू,उफर परू
काहे खलल कईले बाड़े हमनी के ।
अब तूंही बताव कईसे जियल जाई
सब कुछ तूहूं लिहले बाड़े छीनी हो।
अब घरवा में बैठल सब गोहरावेला
कब छोड़बे थे मुवना हमनीके डीह हो।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली, नरहीं ,बलिया ,उत्तरप्रदेश,
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