एगो लईकी जब लजाले त.....
एगो लईकी जब लजाले त.......
-------------------------------------
बड़ा नीक लागेलू
जब अपना द़ांतवा से
ओठवा दबाके तुंहवू
लजाईल खूबे देखावेलू
माशाअल्लाह,माशा........
का कहीं कहाते नईखे
जेवन कहर बरपावेलू
हम त चन्दा के नीचवा
हो जाईले मदहोश हो
का कहीं ए गोरिया तहके
हमार तन मन सब कुछ
केतना झनझनावेलू.......
तोहके का जाने बुझाला
कि कुछ समझ ना पावेलू
दूरवे से खड़ा होके बस
आधे ओठवा हिलावेलू
कुछ कहि ना पावेलू...
टुकुर टुकुर ताकलू बाकि
हमरा दिलवा का बाटे
तूं कहां जानि पावेलू..
केतनो लोगवन में रहिले
बेरी बेरी याद ही आवेलू
मृगा जईसन नैना बाटे
जनि देखा कनखी पर
काहें बिजुरी गिरावेलू
"अकेला"भी रहे चाहिंले त
आपन मुस्की देखावेलू
रात दिन बुझाते नईखे
कवन नशा तूं करावेलू
का खता हमार बा ए बाची
काहे अंखियां से नींदिया
चुराके चैन सुख उड़ावेलू
----------
राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली,नरहीं,बलिया,उत्तरप्रदेश
Comments
Post a Comment