चिराग भी चिराग हुआ
जब चिराग
अपने ही घरां में होगा तब।
कोई भी
कारिंदा पारस बन सकता है।
चिराग रखना
कोई बुरी बात तो नहीं है।
मगर उसे
सही स्थान पे होना चाहिए।
जब चिराग से
घर जलेगा किसी का तब।
उसकी लौ
लौटकर आयेगी अपने पास।
यदि चिराग
सुरक्षित रखना होगा तब तो।
उसको भी
किसी को जलाना नहीं होगा।
जब कोई
विभीषण ही लंका में होगा।
तो लंकापति
भी कभी भी हार सकता है।
"अकेला"तेरा
ही नहीं जला है आशियाना।
जो जैसा करेगा
उसे फल वैसा मिल जाता है।
शीशे के घर
का जो महल बनाकर बैठा है।
वो कंकड़ तो
नहीं फेंका करते हैं साहब!
गर वह कुछ
कहीं भी कलाबाजियां करता है।
उसी का घर
कलाबाजियों में खत्म हो जायेगा।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली,नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश
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