जन्म से पहले मृत्यु
जन्म से पूर्व मृत्यु
---------------------
दहल जाता है हृदय मेरा
जब भी सोचता हूं
वह खौफनाक मंजर
पाती है अंजाम पर जिसके
किसी के जन्म से पूर्व मृत्यु
जिंदगी की राहों में
गुमनाम भटकते हुए
एक अंश को करती है धारण
अपने अन्दर स्वयं में
फिर उसकी हत्या क्यों ?
जो है निर्दोष, निरपराध
हर चीज से वह अज्ञात
फिर क्यों मिलती है उसे मृत्यु
शेरनी शावक को,गाय बछड़े को
जूझकर विषम परिस्थितियों में
करते अपने बच्चों की रक्षा
तो क्या हम सभ्य मानव की
मर चुकी सारी संवेदनायें
इतने भी वेस्टर्न कल्चर के
अंधभक्त न बनो हे मानव!
तुम हो कंस और दानव
करते हो अजन्मे शिशु की हत्या
दहल जाता है हृदय मेरा
सोचता हूं वो खौफनाक मंजर
जब मृत को जीवित नहीं कर सकते
तो गर्भस्थ शिशु को तुम्हें
किसने दिया है अधिकार
कहें "अकेला" आखिर क्यों
मिलता है किसी निरपराध को
जन्म से पूर्व ही मृत्यु ???????
राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली नरहीं बलिया उत्तर
Comments
Post a Comment