सफल होना भी ईर्ष्या का कारण
जब आगे कुछ बढ़ जाओगे
सफलता कुछ भी पाओगे।
तुम ज़माने को समझ पाओगे
अपनों को ही दुश्मन पाओगे।
यदि तुम ऐरे गैरे से ही रह गये
फिर फ़र्क नहीं समझ पाओगे।
सही लोगों की संख्या बहुत है
कुछ ही लोग जलन रखते हैं।
जीवन में आगे कुछ करना है
ऐसे लोगों से बचकर रहना है।
ज्यादे 94% सही लोग होते हैं
सिर्फ़ 6% से बचकर रहना है।
ये तो कुछ पर्सेंट ही लोग होते हैं
अपना महत्व खुद ही वे बढ़ाते हैं।
जब कोई उनपर ध्यान नहीं देता
बस, अच्छों के पीछे पड़ जाते हैं।
इस दुनिया में सब अपने लगते हैं
"अकेला" पाकर चक्रव्यूह रचते हैं।
कौन अपना, कौन है यहां पराया
जो आगे बढ़ रहा वो समझ पाया।
यहां अपना पराया का मतलब है
यदि सफल हो गये तो सब अपने।
रिश्ते नाते सब सामर्थ्यवान के संग
पैसा नहीं तो कोई नहीं आपके संग।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली, नरहीं,बलिया, उत्तरप्रदेश
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