आज का जमाना
आज का जमाना---
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क्या गज़ब का यह भी दौर है
होता कोई और दिखता और है।
जब एक सामान्य परिवार में
कोई भी संबंध विच्छेद होता है।
पत्नी पति में तलाक होता तब
दोनों ही परिवार नष्ट हो जाते हैं।
हर आदमी चाहता है घर का
किसी को पता न चले ये बात।
वही बड़े घरों की बातें कैसी हैं
तलाक से पूर्व ही वायरल होता है।
पति- पत्नी अब साथ न रहेंगे
वह दूसरे से वो दूसरे साथ रहेंगे।
लेकिन विडंबना तो देखिए भाई
उन्हें बड़े इज्जत से देखा जाता है।
खाते- पीते घरों के बच्चों शादियां
बिल्कुल प्रथम शादी ही होती है।
यदि गलती से भी तलाक शुदा की
बात भी करे तो छुरी चल जाती है।
वही जो अमीरजादे हैं तलाश में
तलाक शुदा की रहते धन्नासेठों में।
उन्हें कोई दिक्कत कभी न होती
दूसरी वीवी के लिए कुछ भी करती।
उनमें किसी जाति धर्म की बात नहीं
उनका मजहब सिर्फ़ पैसा ही होता है।
और गरीबों के नाज नखरे देखे होंगे
सिर्फ़ अपने में परंपरागत ही रहते।
दुनिया कहां से कहां चली गई है मगर
ये लोग एक लीक पर ही चलते रहे हैं।
हम जकड़े हुए हैं हम बड़े की बातों से
इसीलिए किसी को एडाप्ट नहीं करते।
हम बिखर कर कहां से कहां आ गए हैं
मगर अभी भी आपस में लड़ ही रहे हैं।
कोई और हो या न हो मगर हम हमेशा
लव जेहाद के शिकार बनते भी रहे हैं।
आधुनिक दौर के चक्कर में दिखावे में
हम"अकेला"होके फंसते ही जा रहे हैं।
बुनियादी ढांचे से दूर मैकाले शिक्षा पर
हम भरोसा करके पिछड़ते ही जा रहे हैं।
मगर फिर भी किसी को अफ़सोस नहीं है
आखिर हम सब यह कर क्या रहे हैं ???
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली, नरहीं, बलिया,उत्तरप्रदेश
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