उलझला में दम ना बा-

उलझला में दम ना बा-
-------------------------
अब त कहीं ना मनवो करेला
कि केहू से उलझीं।

हम केतनो ज्ञसही रहब तबो
हमरे कहाई गलती।

घूमन्तू जीव के बाटे चलती
ओहनी ना रही गलती।

हमहूं खूबे झगड़ा फरियाईं
रात-रात के घरे आईं।

एहू समय कर दिहनी गलती
सही बोलल ह गलती।

ममिला थाना में चलिए त गईल
उहां चाही भरल थलती।

दारोगा, पुलिस औरी ऊ मुंशी
सब ओकरे ओर से बोले।

ई त लोफर हईये है तब फिरो
काहे तें कईला गलती।

ई सब त पढल कम ही बाड़न
एहनी के माफ ह गलती।

अब त तोहार चोला शराफत ह
कुछ देर में डंडा से उतरी।

इज्जत भी त तोहरे बा ए बाबू
फेंका पईसा भरल गगरी।

ना त अईसन दफ़ा हम लगाईब
लाल घर में रहब कगरी।

ओहनी के जेलो में का ले जाईं
करजा में बाड़े स दोबरी।

खड़ा खड़ा गोड़ दुखाये लागल
तब"अकेला"में सोचनी।

एहि लफंगवन से माफी मांग लीं
ना त चलि जाईब भीतरी।

ए बाबू हमरा से गलती हो गईल
क्षमा कर दजा अबरी।

तोहने लोग अब सही बाड़जा इहां
ना उलझब फिर दोबरी।
                    -------------
राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली, नरहीं,बलिया, उत्तरप्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान