शब्दों का संसार

शब्दों का संसार--
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शब्द रचे जाते हैं, गढ़े जाते हैं
शब्द मढ़े जाते हैं,लिखे जाते हैं।

शब्द ही पढ़े और बोले जाते हैं
शब्द तौले,टटोले,खंगाले जाते हैं।

अन्ततः-----

शब्द बनते हैं संवरते,सुधरते हैं
शब्द निखरते, हंसाते, मनाते हैं।

शब्द मुस्कुराते,खिलखिलाते हैं
गुदगुदाते,मुखर,प्रखर,मधुर होते।

किन्तु--------

शब्द मरते नहीं शब्द थकते नहीं
शब्द रूकते नहीं शब्द चुकते नहीं।

फिर भी---------
शब्द चुभते हैं,बिकते, रूठते भी हैं

शब्द घाव,ताव देते हैं, लड़ते भी हैं
झगड़ते,बिगड़ते, बिखरते,सिहरते हैं।

अतएव------

शब्दों से नहीं खेलें सोचकर ही बोलें
शब्दों को मान दें और सम्मान भी दें।

शब्दों पर ध्यान दें इनको पहचान दें
ऊंची उड़ान दें इनको आत्मसात करें।

शब्दों से उनकी बात करें, विचार करें
शब्दों को सुनके,समझकर ही उत्तर दें।

क्योंकि -------

शब्द अनमोल हैं जुबां से निकले बोल हैं
शब्दों में धार होती है, इनमें मार होती है।

महिमा अपार, शब्दों का विशाल भंडार
यह सब तो होता ही है----------

यह सच्चाई है कि-------
शब्दों का अपना अलग ही संसार होता है
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली नरहीं बलिया उत्तरप्रदेश

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