आजु नाहीं सदियन से,भारत देस महान -----‐------------------------------------------- आजु नाहीं सदियन से,भारत देस महान देस दुनिया के हवुए,भारत हमार सान। जब नाहीं जानत रहे,का होला संस्कार रहे भारत ओहि घरी,पढ़त खूब ओंकार। सुर असुर संग्राम में, होखे लागल हार देव दनुज लड़लें खूब,भइल दनुज संहार। मथल गइल महासागर,मिल गइल कालकूट परल सोच में देव सब,पिही के कालकूट। शिव शंकर अभयदानी,कई दिहलें कल्यान पी गइलें हलाहल तब,भइलन सुर हैरान। मत-मतान्तर भी रहे,चाहे अलग विचार रहे दबाव ना कवनो,रहल ना व्याभिचार। शक अइलें हूंण अइलें,गइलें इहां समाय ॠषि मुनि के देस हवुए,पुण्य खूबे कमाय। बार बार हमला भइल,तबो ना भइल एक मुगल,मुस्लिम के विचार,रहे ना कबो नेक। नाक मूंछ के धौंस में,भारत भइल गुलाम नाक मूंछ दूनो गइल,दवुलत भइल निलाम। भइल गुलाम गोरन के,भारत भइल तबाह बढ़ल मन तब गोरन के,बा इतिहास गवाह। फूट डालब राज करब,रहे फिरंगी नीति जहां काम ना बने तब,गोरा करे अनीति। भइल तंग फिरंगी से,भारत के सब लोग जाति धर्म के बरजा से,बनल लड़े के जोग। देस के वीर बांकुड़ा,हो गइलन रणवीर देखत फिरंगिन अनेति,भइल सब सूरवीर। मिलिके लड़ल लोग सब,भइ...
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