मिटना नहीं है

मिटना नहीं है
भेदभाव  जो   है  मिटा   दो।
सब मानव ही हैं
इस  धरती   पर  एकसमान।
फिर क्यूं कोई लेता
यहां  पुरानी  पेंशन  व्यवस्था।
और वहीं कोई है
बिन  पुरानी  पेंशन  बदहाल।
क्या ऐसा है विधान
नहीं  ऐसा  नहीं  है संविधान ।
सबको बराबर ही
संविधान  ने दिया  अधिकार।
अब जाति-धर्म से
उपर  उठकर डट  जाओ सब।
नहीं तो सोच लो
जो कुछ है वह भी नहीं रहेगा।
आज का भारत है
अब और भेदभाव नहीं सहेगा।
एकसाथ आना होगा
जीने के लिए हमें लड़ना होगा‌।
अकेला कुछ नहीं होगा
एकसाथ ही समर उतरना होगा।
अब हमें फिर एकबार
अपना अधिकार छीनना ही होगा।
       ---------रामबहादुर राय------
रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
@ सर्वाधिकार सुरक्षित


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