किसान

किसान ही... भगवान.........
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भोजन देता हमारा किसान
फसल उगाता है गेहूं धान।

सबको देता है जीवन दान
किसान ही सच्चा भगवान।

सीधे साधे हमारे हैं किसान
सबसे सच्चे, अच्छे इन्सान।

चरण स्पर्श करके प्रणाम
मुखमें रहे श्री कृष्ण व राम।

प्रातः उठकर करते हैं काम
खेतों से काम कर लौटें शाम।

खूब उपजाते पाते आधे दाम
लगे रहते कभी न करें आराम।

नहीं देखते हैं वर्षा है या घाम
खेतों में चलते वे लाठी थाम।

फटी पुरानी होती धोती लपेट
नहीं करते "अकेला"पर चपेट।

बदन पर दिखे धूप की निशानी
नहीं समझे वे बुढापा-जवानी।

इनके उपजाये अन्न सब खाते
सारे लोग इनको चपत लगाते।

ईश्वर को तो हमने देखा नहीं है
हम तो किसान को ईश्वर मानें।

जितनी प्रशंसा करेंगे कम होगा
इन्हें प्रसन्न करें ईश्वर प्रसन्न होगा।
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राम बहादुर राय "अकेला"
भरौली,नरहीं,बलिया,उत्तरप्रदेश

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