चुनाव पर नजर
चुनाव पर विशेष---
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भैया मजदूर
तू घरे जब अईह!
सब दुःख दर्द बतईह
रहिया में जवन भयल !
ऊ कबो ना भुलईहा
घरे आके कुछ दिन!
"अकेला"ही काम चलईह
चुनाव जब आई तब!
गिन गिन के बदला तूहूं
वोट देके चुकईहा!
ए बेरी सबक तू सिखईहा
फिर फिर कौनो झांसा में!
मति तूहूं परि जईहा
ई लोकतंत्र में आपन!
वजन सबके देखईहा
आधा पेट खाके बाबू!
ललनवन के जरूर पढईहा
वोटवा के बेरी खूबे तू!
नीमन कहावेला
वोटवा बीत जाला त!
केहू पूछहू ना आवेला
रोज़ जे करेला मज़दूरी!
वोही पैसा से काम होला
घरवे में रहिके कैसे कैसे!
मजदूर काम चलावेला
ई बात केहू ना समझेला!
मजदूर के ही सब केहू
दोषियो भी ठहरियावेला!
मति घबरईहा ए बाबू तूं
वक़्त सबके सिखावेला!
गरीबन के ताकत वोट हा
जब तूहूं बटन दबईहा!
पैदल चलल याद करिहा
दबे पांव जाके पहिलहीं!
बूथवा पे लाईन लगईहा
औरू सूद समेत आपन!
बदला जरूर चुकईहा
याद करिहा दुखवा आपन!
जब वोट देबे तूं जईहा
उनसे बदला जरूर चुकईहा!
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रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित
----------राम बहादुर राय----
"अकेला"
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