हमारी पहचान

पहचान हमारी
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हमारी यह पहचान समझिये
आंसूओं को मुस्कान समझिये

                टीस,चीख, और ज़ख्मी मंजर
                शहर को श्मशान ही समझिये

मुश्किल से मिलती रोटी उनको
ये है ग़रीबी की दास्तान समझिये

                 करते काम तो मिलती मजदूरी
                 इसको मत एहसास समझिये

जो अक्सर ही हंसते रहते हैं
उनके दिल सुनसान समझिये

                  चुभेंगे ही रोज़ कांटे भी दिल में
                   फूलों से भी नुकसान समझिये

राम बहादुर राय "अकेला "
भरौली, नरहीं, बलिया ,उत्तर प्रदेश,
पिन कोड:२७७५०१

स्वरचित एवं मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित

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