याद में तुम्हारे बैठे हैं!!!

याद में तुम्हारे बैठे हैं------
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प्रणय निवेदन करता हूं मैं
पास तुम्हारे आने को।
दिल में हसरत लिए घूमता हूं
साथ तुम्हारा पाने को।
गुम्फित पटल तेरी राह देखे
उर में भव्य हो जाने को।
सदियों से मैं साभार खड़ा हूं
एक झलक ही पाने को।
कहने को तो आजाद हैं हम
बैठे हैं शीश नवाने को।
फिर भी अगर विश्वास नहीं है
तैयार हैं कट जाने को।
पलक-पांवड़े बिछाकर बैठे हैं
भूल चुके हैं ज़माने को।
अगर फिर भी नहीं भरोसा है
छोड़ो मुझे जल जाने को।
मुझे जिंदा रखना है तो आओ
वर्ना फूंक दूं जमाने को।
सदियों से जिंदा हूं तेरे भरोसे
राह देखता तेरे आने को।
एकबार ही सही आकर देखो
तैयार हूं एक हो जाने को।
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रचना स्वरचित एवं मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।‌।
राम बहादुर राय
भरौली, बलिया, उत्तरप्रदेश

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