त शहर से नीक अपन गंवुए बा
त शहर से नीक अपन गंवुए बा!!!
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शहरिया से त नीमन हमनी के
आपन गंवुए बा।
कूलर पंखा के हवुवा से त नीमन
पीपरा के छांउवे बा।
फ़्रीज़ के खाना खईला से नीमन
गंवुआ के बसियवुरे बा।
घरवा पर फ्लैट नं नइखे लिखल
सब कुछ खुलल बा।
जवन भी कुछ चीझु बाटे उहंवा
बाबा के नउवे बा।
बोलियो में मिठास भरल रहेला
नेह से सब भरल बा।
कुछो दुःख दलिदर आ जाला त
सब केहू साथ देबेला।
जवन कुछ मन में रहेला उनुका
खुलल किताबिये बा।
लाड़ प्यार से सब उहंवा मिलेला
सब बिंदास जियेला।
इमान-धरम से सब रहेल करेला
कल-छपट नहिंये बा।
जेकरे घरे दुवारे जाके देख ला
सब केहू घरवइये बा।
काइंयापन शहरियन अस नइखे
उहां सांचा मनईये बा।
जहंवा देख ला सब केहू खुश बा
सब केहू संतोषिये बा।
बाबू-माई ओहिजुगे पूजल जालें
जइसे देवी-देवते बा।
विधवा, वृद्धाश्रम उहवां ना मिली
ना केहू उहां अपने बा।
एहिसे कहतानी चलिंजा गंवुए में
शहरिया से त नीके बा।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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