स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की पुण्य तिथि आज
ब्रह्मर्षि स्वामी सहजानंद सरस्वती जी पुण्यतिथि आज!!!
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एक नजर में 🙏🙏🙏स्वामी सहजानंद सरस्वती: 73 वीं पुण्य तिथि पर आपको सादर नमन एवं कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏
आपका जन्म गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)
के देवा गांव में सन् 1889 में जन्म हुआ था
माता जी का शरीरान्त सन् 1892में हुआ था।
सन् 1898 में जलालाबाद मदरसा में शिक्षा शुरू।
1901 में लोअर और अपर प्राइमरी 6वर्ष की शिक्षा 3 वर्ष में पूरी हुई।
1904 में मिडिल परीक्षा में समूचे उत्तर प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त कर छात्रवृत्ति प्राप्त की।
1905 वैराग्य से बचने हेतु विवाह।
1906 में पत्नी का स्वर्गवास।
1907 में अपने पुनर्विवाह की बात सुनकर महाशिवरात्रि के दिन घर से काशी जाकर दसनामी संन्यासी स्वामी अच्युतानंद से पहली दीक्षा लेकर संन्यास धारण किये।
1908 में गुरु की खोज में घूमते रहे तथा पुनः 1909 में काशी के दशाश्वमेध घाट पर श्री दण्डी अदवैतानन्द जी से दीक्षा लेकर दण्ड ग्रहण कर स्वामी सहजानंद सरस्वती बने।
1910-1912: काशी एवं दरभंगा में संस्कृत साहित्य ,व्याकरण,न्याय तथा मीमांसा का विशद अध्ययन किया।
1913 में स्वामी पूर्णानंद सरस्वती के प्रयास से 28 दिसम्बर को हथुवा नरेश की अध्यक्षता में सम्पन्न अखिल भारतीय भूमिहार ब्राह्मण महासभा में पहली बार उपस्थित होकर भाषण दिये।
1914 काशी से भूमिहार ब्राह्मण पत्र 1916 तक सम्पादित एवं प्रकाशित करते रहे।
1914-15 सम्पूर्ण भारत में भूमिहार ब्राह्मण का विवरण एकत्र करते रहे।
1916 भूमिहार ब्राह्मण परिचय का प्रकाशन और गाजीपुर के विश्वभरपुर में रहे।
1917 पहली बार भोजपुर बिहार के डुमरी में कान्यकुब्ज और शाकद्वीपी ब्राह्मणों के विवाद में पंडित देवराज चतुर्वेदी द्वारा आमंत्रित।
1919 सिमरी में रहे पुनः विश्वंभरपुर गाजीपुर वापस।
1920 में 5 सितम्बर को पटना में श्री मज़रूल हक के निवास पर महात्मा गांधी जी से राजनैतिक वार्ता द्वारा राजनीति में प्रवेश और कांग्रेस में शामिल हुए।
1921 गाजीपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए तथा अहमदाबाद कांग्रेस में शामिल हुए।
1922गिरफ्तार और एक वर्ष का कारावास मिला तथा जेल से रिहा होकर सिमरी भोजपुर में रहने लगे।
1924 में खादी का प्रयोग चर्खे का प्रयोग तथा जन्म मरण संस्कार से संबंधित 1200 पृष्ठों का एक ग्रंथ तैयार किए।
1925 में काशी में आयोजित संयुक्त प्रांतीय भूमिहार ब्राह्मण द्वारा पुरोहिती से सम्बंधित भाषण, खलीलाबाद बस्ती में एवं गया के राजा चंदेश्वर प्र सिंह की अध्यक्षता में।
इसी वर्ष 1925 में भूमिहार ब्राह्मण परिचय का परिवर्धन कर "ब्रह्मर्षि वंश विस्तार" नाम से प्रकाशन।
1926 में कर्मकलाप का काशी से प्रकाशन,अमिला,घोषी,, आजमगढ़ में आयोजित भूमिहार ब्राह्मण महासभा में भाषण देते हुए संस्कृत के प्रचार प्रसार पर बल दिया गया।
समस्तीपुर निवास तथा पटना में आयोजित अखिल भारतीय भूमिहार ब्राह्मण महासभा में त्यागी ब्राह्मण चौधरी रघुवीर सिंह को अध्यक्ष बनाया,पुरोहिती का प्रस्ताव पारित करवाय।
1927 में पटना जिले के बिहटा में श्री सीताराम दासजी द्वारा प्रदत्त भूमि पर श्री सीताराम आश्रम बनाकर स्थायी निवास तथा पश्चिमी किसान सभा पटना की स्थापना।
1928 सोनपुर छपरा में 17 नवंबर को संपन्न बिहार प्रांतीय किसान सम्मेलन में अध्यक्ष चुने गए।
1929 में अन्तिम में मुंगेर की अखिल भारतीय भूमिहार ब्राह्मण महासभा में सम्मिलित परन्तु मतभेद के चलते वापस।
1930 में अमहरा पटना में 26 जनवरी को नमक कानून भंग करने के लिए 6 माह का कारावास।
हजारीबाग जेल में"गीता रहस्य" की रचना की
जेल से रिहा होकर कांग्रेस तथा किसान सभा के कार्यों में संलिप्त हुए।
1934 में भूकंप पीड़ितों की सेवा करने हेतु बिहार में समिति गठित कर सेवा कार्य का संचालन किये।
1935 में पटना जिला कांग्रेस के अध्यक्ष प्रादेशिक कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य तथा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य चुने गए।
1936 में अखिल भारतीय किसान सभा का संगठन तथा प्रथम अधिवेशन लखनऊ में अध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
1937 में अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री चुने गए।
1938 में 13 से 15 मई तक सम्पन्न अखिल भारतीय किसान सम्मेलन कोमिल्ला , बंगाल के अध्यक्ष चुने गए।
1939 में अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री निर्वाचित तथा 1943 तक उक्त पद पर कार्यरत रहे।
1940 19-20 मार्च रामगढ़ बिहार में सुभाष चन्द्र बोस की अध्यक्षता में आयोजित अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष तथा भाषण देने के जुर्म में 3 वर्ष की जेल।
1941 में जेल में बहुत सी पुस्तकों की रचना की।
1944 में 14-15 मार्च को बैजवाड़ा आंध्र प्रदेश में अखिल भारतीय किसान सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए।
1948 में 6 दिसंबर को कांग्रेस की प्राथमिक एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता का त्याग कर दिये तथा साम्यवादी सहयोग से किसान मोर्चा का संचालन।
1949 में महाशिवरात्रि को बिहटा पटना में हीरक जयंती समारोह समिति द्वारा 60 लाख रूपए की थैली भेंट तथा उसका तदर्थ दान। रामनवमी को अयोध्या में सम्पन्न अखिल भारतीय विरक्त महामंडल के प्रथम अधिवेशन में शंकराचार्य के बाद अध्यक्षीय भाषण।
1950 में रक्तचाप से पीड़ित होकर प्राकृतिक चिकित्सा हेतु डॉ शंकर नायर मुजफ्फरपुर से चिकित्सा आरम्भ। जून से अपने अनन्य अनुयाई किसान नेता पं यमुना कायीं देवपार पूसा, समस्तीपुर के निवास पर निवास।
26 जून 1950 पुनः डॉ नैयर को दिखाने आने पर मुजफ्फरपुर में ही पक्षाघात का आक्रमण तथा 26 जून की रात्रि 2बजे प्रसिद्ध वकील पं मुचुकुन्द शर्मा के निवास पर देहान्त।
27/06/1950 को शव का पटना गांधी मैदान में लाखों लोगों द्वारा अन्तिम दर्शन डॉ महमूद की अध्यक्षता में शोक सभा एवं नेताओं द्वारा श्रृद्धांजलि।
28 जून 1950 डॉ श्री कृष्ण सिंह मुख्यमंत्री बिहार तथा अन्य नेताओं का अर्थी के साथ श्री सीतारामाश्रम विहटा (पटना) में पहुंचना तथा वहीं अन्तिम समाधि। डॉ राजेन्द्र प्रसाद आदि का शोक सन्देश।
स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा रचित पुस्तकें --
ब्रह्मर्षि वंश विस्तार, ब्राह्मण समाज की स्थति, झूठा भय, मिथ्या अभिमान, कर्म कलाप, गीता हृदय(धार्मिक), क्रान्ति और संयुक्त मोर्चा, किसान सभा के संस्मरण, किसान कैसे लड़ते हैं, झारखंड के किसान, किसान क्या करें,मेरा जीवन संघर्ष (आत्मकथा) आदि।
स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा सम्पादित पत्र:
उन्होंने क्रमशः भूमिहार ब्राह्मण काशी और लोकसंग्रह पटना नामक पत्रों का सम्पादन 1911-16 और 1922-24 तक सफलतापूर्वक किया।
उनके लेख "हुंकार" पटना, जनता (पटना), विशाल भारत (कलकत्ता) तथा कल्याण (गोरखपुर) के ईश्वरांक तथा योगांक में भी प्रकाशित हुए थे।
वंशावली---
ठाकुर प्रसाद राय---1 -बेनी राय
2- विशेश्वर राय के एकमात्र पुत्र सुन्दर राय
1- बेनी राय --1-जंगबहादुर राय 2- रामध्यान राय 3 -राम विलास राय 4-नवरंग राय।।
यही नवरंग राय आगे चलकर स्वामी सहजानंद सरस्वती बने!!!
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राम बहादुर राय
भरौली नरहीं बलिया उत्तरप्रदेश
पिन कोड:277501
मोबाइल नं -9102331513
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