गिरगिटवो अब फेल मारि गइल
गिरगिटवो फेल मारि गइल:
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कइसन जमाना ई आइल
गिरगिटवो बा अकुलाइल।
कहेला हम कहंवा जाइब
अदिमी से बानी डेराइल।
रंगवा बदले में उहो बाटे
हमसे कोसन अगुवाइल।
रंगवा बदले में हमहूं रहीं
दुनिया में इहे अगुवाइल।
अब एगो अदिमी भेंटाइल
नाम बतवले त चिन्हाइल।
हम रंग देखिके रंग बदलीं
उ त रंगवे में बाटे रंगाइल।
हर अदिमी से अलगे बोले
जेही मिलल उहे झोलइल।
अरे का करीं हमहूं अब त
हाथ में बाटे झलमलाइल।
कहेला कि ए भाई साहब
शहर धरे के समय आइल।
गिरगिट के दिनवा लदाइल
सब गिरगिट में बदलाइल।
दुश्मनवन से बचहीं खातिर
बेरी बेरी ही रंग बदलाइल।
हम ना जानत रहनीं दादा
अदिमियों में रहब हेराइल।
अदिमी के बदलल देखलीं
हमार बुद्धिया बाटे हेराइल।
अपन बोरिया बिस्तर लेइके
भागल गिरगिट अकुलाइल।
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रचना स्वरचित, मौलिक अउरी अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
राम बहादुर राय
भरौली, बलिया, उत्तरप्रदेश
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