वीणा वाली माई से हमार एगो अर्जी बा :--राम बहादुर राय भरौली, नरहीं,बलिया, उत्तरप्रदेश

वीणा वाली माई से हमार एगो अर्जी बा:--
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वीणा वाली माई तनी
वीणवा बजा द।

परल बानी अथेघा हमहूं
बेड़ा पार लगा द।

दर -दर हम भटकतबानी
हमके रहिया देखा द।

नईखे लउकत केहूवे ए माई
तुहंई कुछ बता द।

फंसल बे मझधार में नईया
कईसहूं पार लगा द।

केहूवे नइखे समझत हमके 
आके तूहीं समझा द।

परल बे मझधार में नईया
आके तूहीं पार लगा द

तोहरे भरोसे बानी ए मईया 
हमार इजतिया बचा द ‌।

परल बाटे पीछे सब लोगवा
आके हमके बचा द।

वीणा वाली माई आवा तुहूं 
हमार मनसा पूरा द।

हंस सवारी कमलअसनवा
बिगड़ी तूहंई बना द।

सूझे नाहीं कुछू हमरा के
तूहंई कुछ सूझा द।

असरा लगाके बईठल हंई 
हमके तूहंई बचा द।

पूजा-पाठ ना जानी हमहूं 
गंवार के तूं सीखा द।

परल बानी अथेघा मईया 
सपनों में कुछ बता द।

हंईं भरोसे तोहरे ए मईया 
नइया के पार लगा द।

बानी तोहरे भरोसे बईठल 
कइसहूं तूंहवू आवा।

बईठब बानी अनशन पर 
अनशन तूंही छोड़ा द।

कुछू सीखावा माई हमके
लिखे पढ़े सीखा द।

केहूवो नाहीं बाटे हमरा 
चरनिया में बईठा ला।

कमल,हंस के आसनवा 
किरिपा कके देखा द!!!!
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ई -हमार किताब में छप चुकल बाटे
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रचना स्वरचित,मौलिक एवं अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
राम बहादुर राय
भरौली, नरहीं,बलिया, उत्तरप्रदेश



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