दोहरा चरित्र ना जिहिले

दोहरा चरित्र ना जिहिले
-------------------------------
दोहरा चरित्र ना जिहिले
एहिसे " अकेले " रहिले।।

मोलम्मा चढ़ावे ना जानिले
सबका नज़रिया में गड़िले।

पइसा के पाछे ना भागिले
मनइ के मोल बस जानिले।

जेकरा संगवा हम रहिले
धोखा-पट्टी कबो ना करिले।

बाबू- माई के बात मानिले
जवन कहब ओतना करिले।

सचकी बात सोझा कहिले
एहूसे हम " अकेले" रहिले।।

केतनो चोट हम खाइले
तबो ना हम खिसियाइले।

जब खूब दिक्कत में रहिले
तब प्रभु के शरन में जाइले।

चाहियो के भी दोहरा चरित्र
कइसहूं ना झेलि हम पाइले।

नफ़ा -नुकसान ना जानिला
अकेला कतनो कइल जाइले।
 -----------
रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया, उत्तरप्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान