संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की आवश्यकता क्यूं पड़ी
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
या
संयुक्त राष्ट्र संघ की आवश्यकता क्यूं
1-प्रस्तावना:
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"सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे भवन्तु निरामया:"
हमारी सभ्यता और संस्कृति का मूल माना जाता है या यूं कहिए कि यही मूल है।हम स्वयं के साथ-साथ समष्टि को सुखी और सम्पन्न देखना चाहते हैं, यहां तक कि हम मानव मात्र तक ही सीमित नहीं हैं हमें तो सभी जीवधारियों के कल्याण की कामना रहती है। लेकिन समय-समय पर स्वार्थ और अहंकार की महत्वकांक्षा लिए हुए कुछ अधिनायकवादी सत्ताधारी अंधा होकर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मान बैठते हैं और अपसंस्कृति पैदा कर देते हैं किसी राष्ट्र की एकता-अखंडता को तार-तार करने का पूरा पूरा प्रयास करते हैं और ऐसा हुआ भी है होता भी रहा है इससे हर जगह दो या तीन समूहों में लोग बंट जाते हैं...पूरे विश्व स्तर तक की हम बात करें तो इसका कुप्रभाव हम देख भी चुके हैं जो तीन तरह से हमारा विश्व बंट चुका था...
1-एक्सिस पावर कम अधिनायकवादी
2-सामान्य रुप से रहने वाले देश
3-निर्गुट देश
हम जानते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध सन् 1914 में शुरू हुआ था जिसमें केन्द्रीय शक्तियों आस्ट्रिया-हंगरी , जर्मनी, बुल्गारिया और आटोमन साम्राज्य सहित रुस की सन् 1917 में बोल्शेविक द्वारा सत्ता की जब्ती और वह वर्साय की संधि सन् 1919 द्वारा जर्मनी पर दुनिया भर के नियम-कानून थोपा गया या उसी शर्तों पर संधि की गई थी। कालांतर में जब जर्मनी पर यह संधि भारी पड़ने लगी वहां के अति राष्ट्रवाद से प्रेरित जनता संधि के बोझ को सहने की स्थिति में नहीं थी तो उन्हें एक ऐसे नेता की आवश्यकता हुई जो जर्मनी की थोपी गई संधियों से इनके पैरों में जकड़ी जंजीरों से मुक्ति दिला सके फलत: एडाल्फ हिटलर के रुप में एक तानाशाह के नाजीवाद का जन्म हुआ। इटली में में मुसोलिनी और जापान में भी ऐसे ही अति राष्ट्रवादी नेताओं का जन्म हुआ इसकी परिणति विश्व के तीसरे युद्ध के रूप में हुई।
द्वितीय विश्व युद्ध तो सन् 1939 से सन् 1945 तक एक विश्वव्यापी विनाशकारी युद्ध हुआ जिसमें दो प्रतिद्वंद्वी समूह थे जैसे 1- धुरी राष्ट्र या एक्सिस पावर -जर्मनी,इटली, जापान
2-मित्र राष्ट्र -फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका,रुस,चीन इत्यादि देश
इस युद्ध में लगभग 70 देशों की जल-थल-वायु सेनाओं ने भाग लिया तथा लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने भाग लिया था जिसमें लिप्त समूचे विश्व की महाशक्तियों ने भी अपनी सामरिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, औद्योगिक सारी ताकतों का भरपूर इस्तेमाल किया जिसमें लगभग 5 से 7 करोड़ लोगों की जानें गईं।
1-एक तरफ मित्र राष्ट्र थे जिनमें प्रमुख रूप से जोसेफ स्टालिन, फ्रैंकलिन डी रुज़वेल्ट, विंस्टन चर्चिल,चिआंग काई शेक
2- दूसरी तरफ धुरी राष्ट्र के नेता जिनकी वजह से युद्ध भड़का - एडाल्फ हिटलर,हिरोहितो,बानितो मुसोलिनी
दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत 01 सितम्बर सन् 1939 में हुई जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया।
लेकिन सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि जापान ने बेवजह अमेरिका के जंगी जहाजी बेड़ा पर सन् 1941 में हमला कर बहुत भारी नुकसान पहुंचा दिया और इसकी प्रतिक्रिया देखने को तब मिली जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद 6 एवं 9 अगस्त सन् 1945 में परमाणु हमला जापान के विश्व प्रसिद्ध महानगर हिरोशिमा, नागासाकी पर कर दिया जिसकी वजह से दोनों महानगर जमींदोज हो गये... आज भी उस हमले का असर यह है कि वहां पर विकलांग बच्चे ही जन्म लेते हैं।।
उसके बाद पूरे विश्व में अमेरिकी की दादागिरी बढ़ती गई और जितने भी विकसित राष्ट्र हैं अक्सर चाहते हैं कि विकासशील देश उनकी बराबरी नहीं कर सकें।।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का उद्देश्य यह था कि उस समय तक जो भी संस्थाएं थी इस महायुद्ध की विभीषिका को रोकने में अक्षम साबित हुई तो सबने सोचा कि कोई ऐसी शक्तिशाली व्यवस्था होनी चाहिए जो विषम परिस्थितियों में भविष्य में होने वाली इस तरह की अनहोनी से बचा सके... कारण स्पष्ट है कि अगर अब तीसरा कोई विश्व युद्ध होता है तो सबके पास परमाणु हथियार होने की वजह से सर्वनाश हो सकता है इसलिए युद्ध से हरहाल में बचा जाना चाहिए।।
2-संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन:
-------------------------------- सर्वविदित है कि द्वितीय विश्व युद्ध में
जो भीषण नरसंहार हुआ और कोई भी किसी की बात नहीं माना फलत: इस युद्ध की त्रासदी को विश्व के नागरिकों ने झेला तब हमारी दुनिया के तमाम बड़े-छोटे देशों के प्रयास से एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के निर्माण हेतु सुगबुगाहट शुरू हो गई जिससे कि पूरे विश्व में शांति,सद्भाव एवं सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके।फलत: 24 अक्टूबर सन् 1945 में सैन फ्रांसिस्को नगर में एक विशाल सम्मेलन हुआ जिसमें विश्वशांति एवं सबकी सुरक्षा से सम्बंधित बातों पर बल दिया गया।। अंततः 25 जनवरी सन् 1945 को विश्व के 51 देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर पर हस्ताक्षर कर सहमति हुई जो इस प्रकार से है.......
1-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति एवं सुरक्षा प्रदान करना
2-विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाना
3- पारस्परिक सामंजस्य स्थापित करना
4-अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में शांतिपूर्ण परिवर्तन लाना
5- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर झगड़ों को शांतिपूर्ण हल निकालना
6-नि:शस्त्रीकरण को बढ़ावा देने हेतु कृत संकल्प होना।।
हालांकि इस चार्टर पर हस्ताक्षर होते ही प्रभावशाली नहीं हो पाया वजह कुछ औपचारिकताएं शेष रह गईं थीं या अपूर्ण आधी अधूरी रही । इसके पूर्व भी इस तरह के प्रयास किए जा चुके थे जैसे प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत लीग आफ नेशन्स की स्थापना हुई थी मगर अनगिनत भागीरथ प्रयासों के फलस्वरूप 24 अक्टूबर सन् 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आ ही गया।।
3-विश्व शांति में संयुक्त राष्ट्र संघ का योगदान: विश्व ने दो विश्व
------------------------------------------------------- युद्ध की त्रासदी झेलने के बाद अब और नहीं की रणनीति पर काम करना शुरू किया और अन्ततः एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था के निर्माण की आवश्यकता महसूस करते हुए एक स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का निर्माण हुआ जिसका एक चार्टर भी बना जिसके माध्यम से विश्व स्तर पर शांति एवं सदभावना,नि:शस्त्रीकरण, अंतराष्ट्रीय स्तर पर झगडों को निपटाने पर बल दिया गया।इसका आधार 25 जनवरी सन् 1945 को सैन फ्रांसिस्को में 51देशों द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त चार्टर है जबकि विधिवत 24 अक्टूबर सन् 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना मानी जाती है
ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि इससे पहले वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था जबकि सन् 1915 में भी एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था लीग आफ नेशन्स की स्थापना की गई थी जिसका अंतिम रूप 10 जनवरी सन् 1920 दि लीग टू इन्फोर्स पीस के प्रतिरूप में लीग आफ नेशन्स अस्तित्व में आया परन्तु इसकी सबसे बड़ी असफलता यह रही कि द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में असफल रहा जिसकी वजह से अन्य संस्था के निर्माण पर विश्व का ध्यान गया और संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अस्तित्व में आने पर इसने अपने संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के माध्यम से अपने वैश्विक उद्देश्यों को अभिव्यक्त किया जिसमें मौलिक स्वतंत्रता,मानव अधिकार, छोटे-बड़े राष्ट्रों में समानता इत्यादि के संदर्भ में आस्था प्रकट किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के विनाशकारी त्रासदी को देखते हुए ऐसे युद्धों से बचाने के लिए विश्व बंधुत्व, आर्थिक एवं सामाजिक समानता बनाते हुए विश्व शांति स्थापित करना मुख्य उद्देश्य बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद नं -1 के अनुसार इसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शांति, सदभावना एवं सुरक्षा बनाया रखना है तथैव इसका मुख्य उद्देश्य विश्व शांति ही है।
वस्तुत: संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों में निम्न हैं....
1-महासमा,2- सुरक्षा परिषद,3- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद 4-न्यास धारिता परिषद,5- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय, एवं 6-सचिवालय
इसमें विश्व शांति का दायित्व सुरक्षा परिषद के जिम्मे दिया गया है अतः यह महत्वपूर्ण अंग कहा जाता है। सुरक्षा परिषद ने सर्व प्रथम दक्षिणी कोरिया का उत्तरी कोरिया पर आक्रमण करने के बाद इसे रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। ऐसे ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने इंडोनेशिया और डचों के मध्य सशस्त्र संघर्ष का अन्त किया बल्कि शान्ति भी स्थापित करने में सफल रहा जबकि फिलिस्तीन और स्वेज संकट में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस के वीटो का प्रयोग करने की वजह से कोई हल नहीं निकला,अब कांगो हो चाहे अरब -इजराइल विवाद, सन् 1964 में साइप्रस विवाद में भी बहुत सराहनीय कार्य हुआ।
खाड़ी विवाद सर्वविदित है जिसमें सुरक्षा परिषद की बहुत ही प्रभावशाली भूमिका रही है। सोमालिया मामले में भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है अतः हम यह कह सकते हैं कि विश्व शांति स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका सराहनीय और सफल साबित हुई है।।
4-उपसंहार : संयुक्त राष्ट्र संघ अपने दायित्वों का भलीभांति
--------------- निर्वहन कर रहा है और किया भी है लेकिन कभी -कभी ऐसी भी परिस्थिति पैदा हो जाती है कि वह भी बेबस लाचार दिखता है वजह संयुक्त राज्य अमेरिका का विशेष हस्तक्षेप इसकी भी वजह संयुक्त राष्ट्र संघ के जो खर्च होता है उसमें उसकी सर्वाधिक सहभागिता तथा दूसरी मुख्य बात यह है कि जो पांच देशों को वीटो करने का वीटो पावर की व्यवस्था है वे सिर्फ स्थायी सदस्य ही हैं।
वीटो पावर का मतलब यह है कि कोई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का विवाद अगर संयुक्त राष्ट्र संघ में जाता है और वह पटल पर लाया जाता है तब यदि संयुक्त राष्ट्र संघ के पांच स्थायी सदस्यों में से कोई एक भी अगर विरोध में आ जाता है तो वह प्रस्ताव वहीं समाप्त हो जाता है मसलन वह अब अनिर्णीत ही छोड़ दिया जाता है जैसे अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर जब भी भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों पर पाकिस्तान के खिलाफ लाता है तो चार देश भारत के समर्थन में होते हुए भी सिर्फ एक देश चीन की वजह से सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है।यह बहुत बड़ा दोष है संयुक्त राष्ट्र संघ का और कभी -कभी तो इजरायल मुद्दे पर भी कुछ बात समझ में नहीं आती है यहां भी तुष्टिकरण की राजनीति कर दी जाती है
संयुक्त राष्ट्र संघ को यदि निष्पक्ष बनाना है और सही ढंग से अंतराष्ट्रीय स्तर पर शांति एवं सदभाव कायम करना है तो निश्चित रूप से सुरक्षा परिषद के पांच देशों यथा ब्रिटेन, फ्रांस रुस,अमेरिका,चीन के एकतरफा वर्चस्व को खत्म करके यहां भी लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम किया जाना चाहिए जिसके लिए सुरक्षा परिषद में वीटो का अधिकार समाप्त कर दो तिहाई बहुमत से निर्णय होना चाहिए और स्थायी सदस्यों में भारत, जर्मनी जैसे महत्वपूर्ण देशों को भी शामिल किया जान अवश्यंभावी प्रतीत हो रहा है।
आलेख स्वरचित एवं मौलिक
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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