अब मैं क्या देखूं???
अब मैं क्या देखूं??
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आंखों में तेरी छलकता कहर देखूं
या फिर बैशाखी पर टिका शहर देखूं!
एक सुसज्जित रौशनी के जलसे में
छुपे हुए अब इस अंधेरे का डर देखूं!
अंदाजा मरने का उनको था लेकिन
फिर भी इसी अंदाज में एक जिंदगी देखूं!
भूख की कब्र में कलम इल्म खोजती है
अब देखूं तब देखूं या अकेला हर पहर देखूं!
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@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया, उत्तर प्रदेश
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