घर की लक्ष्मी बेटियां

घर की लक्ष्मी -बेटियां--
----------------------------
मेरे घर आने की आहट
वह पहले जान लेती है
वह हंसती है इतराती है
हर वक्त मेरे पास रहती है।

मेरी आंखों को देखकर
सब कुछ समझ जाती है
बहुत ही सुन्दर लगती है
जब मेरा लाया पहनती है।

गपशप करना आदत में है
वह चिकनी बातें करती है
सबसे मिल जुल रहती है
पूरे मोहल्ले  की  नानी है।

जहां कोई दुखी इन्सान हो
वह  झट से  पहुंच जाती है
इतनी छोटी  होकर भी वह
बढ़िया पकवान बनाती है।

मैं काम करके वापस आऊं
पहले पानी लेकर आती हैं 
मेरे सोने पर सिर दबाती हैं 
मुझे दुखी नहीं देख पाती हैं।

उनकी शादी की बात होती 
वे मुंह बनाके भाग जाती हैं 
कहती ,क्यों फर्क करते हो
क्या मैं काम नहीं आती हूं ??

क्यों भगाने पर लगे हो पापा
क्या मैं अब बोझ बन बैठी हूं
जो कुछ भी लड़का करता है
मैं भी तो ज्यादे कर पाती हूं।

कहने को  लक्ष्मी कहते हो
क्या लक्ष्मी भगायी जाती हैं
पाल-पोस कर  बड़ा किया 
तो क्यों की जाती परायी हूं।
                ------------
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया, उत्तरप्रदेश
9102331513

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान