अबहियों से बरिसू रे बदरिया!!!
अबहियों से बरिसू रे बदरिया !!!
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आवा - आवा हो बदरिया
तुहंवू भुवरको।
बिया - बालि सूखतबाटे
करेजो टूटत बाटे।
बड़ा धोखमार बाड़ी इ त
कारी रे बदरिया।
रोजे - रोजे लउकत बाड़ी
घर के उपरिया।
हड़ - हड़, गड़ - गड़ कइके
ना बरिसे बदरिया।
ताल-तलइया सूखि गइले
सूझे ना उपइया।
घाघ- घाघिन से पूछतबाड़े
किसनवा भइया।
खेती बारी कुछ नाहीं होइ
कपारे हाथ धके बैठल।
का करीं कइसे होइ अब त
बेटिया के बिदइया।
अइसन अचरज देखतानी
सावन में धूर उड़इया।
सवतिन भइली कारी बदरी
भागि जो दोसरो ठइयां।
आ जा हो भुवरको तोहके
एगो चुनरी चढ़ाउब।
धानवा के खेतवा में बाटे
फाटल दररिया।
आ जा रहे भुवरको हमार
सुनिके अरजिया।
नेह छोह लागल बाटे तोसे
दिल मति तुरिहा।
ठुमुकि -ठुमुकि के भुवरको
खेतवा में बरिसिहा
पशु-पक्षी,दादुर रोवताड़न
बुझाइहा पियसिया।
बाटे किसनवा तोहरे असरा
देखताड़न उपरिया।
छाक -छकवलस करिकी
सवतिन बदरिया।
हमार कसम आजा बहिनी
भुवरको रे बदरिया।
हमार कसम आ जा भुवरको....
बचावा अपनो इजतिया।
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रचना स्वरचित मौलिक अउरी अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
राम बहादुर राय
भरौली, बलिया,उत्तरप्रदेश
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