गुटनिरपेक्ष भारत तटस्थ भारत

विश्व की राजनीति में भारत
या
गुटनिरपेक्ष भारत
या
तटस्थ भारत

1-प्रस्तावना:-
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ऐसा माना जाता है कि भारत विश्व गुरु रहा है या यूं समझ लीजिए कि जब लोग कुछ सीख रहे थे तब भारत समूचे विश्व में सबको नया सबेरा दिखा रहा था फलत: विश्व की राजनीति में भारत विशेष महत्व रखता है वह भी अपनी तटस्थ राजनीति की वजह से।भारत सदियों से समूचे विश्व में शांति का समर्थन किया है और आज भी उसी जगह पर खड़ा है....

"सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:"

जब भी विश्व स्तर या किसी भी स्तर की बात करते हैं तो सदैव शांति एवं सदभावना की बात ही नहीं करता है बल्कि समय-समय पर अनेक महापुरुषों के द्वारा शांति एवं भाईचारे की भावना को प्रश्रय दिया है तथा प्रचार-प्रसार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा भी लिया है यहां तक की समूचे विश्व में सबके लिए मंगल कामना भी किया है यहां तक यहां के साधु-संतों ने मुनियों ने भी सबके सुखी होने की कामना की है।

सर्वे भवन्तु सुखिन:,
सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,
मां कश्चिद् दु:ख भागभवेत

हमारे देश का सदियों का इतिहास है सनातनी परंपरा रही है कि यहां सदैव मानवतावादी दृष्टिकोण से सबको देखा गया है उसी के आदर्श के अनुसार व्यवहार भी किया गया है... हमारे कुछ मूल्य हैं जिसपर हम चले हैं और चल भी रहे हैं.....

सत्य, अहिंसा,अस्तेय, परोपकार, लोककल्याण, जनकल्याण

"परहित सरिस धर्म नहिं भाई"

जब दुनिया के विकसित राष्ट्रों के हित आपस में टकराते हुए एक दूसरे से लड़ने को उद्यत रहते थे तब भी हमें या हमारी पहले आक्रमण करो या विस्तार की कोई नीति नहीं रही है हम अक्सर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए किसी देश पर आधिपत्य या किसी का प्रतिकार करने की कभी भी कोशिश तक नहीं की है यथा हमारा प्रमुख सिद्धांत रहा है तटस्थ रहकर शान्ति एवं सदभाव परस्पर विश्वास कायम करवाना एवं स्वयं उसका उदाहरण बनकर पूरे विश्व को एक नयी दिशा देना।।

2-तटस्थता :-
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जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया उसके पश्चात भारत अपने सभी पड़ोसी राज्यों के साथ शांति एवं सदभावना स्थापित करने की भरपूर कोशिश की अतः उसी तटस्थता की नीति की वजह से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने चीन से पंचशील समझौता कर अपने देश की शांति पर चलने की अपनी मंशा को दिखाया और नारा दिया गया उभय देशों के द्वारा.....

" हिन्दी-चीनी भाई-भाई "

हालांकि यह समझौता चीन के लिए एक अवसर के रूप में दिखा और उसने शांति से सोये हुए भारत की तटस्थता की नीति पर कुठाराघात करते हुए एकतरफा अघोषित युद्ध शुरू कर दिया जिसका खामियाजा हमारे देश को भोगना पड़ा हालांकि जिस उद्देश्य से आक्रमण किया गया था चीन द्वारा और भारत की स्थिति का गलत मूल्यांकन भी कर चुका था उसके अप्रत्याशित परिणाम सामने आये भारत के सैनिकों के पास कोई विशेष सुविधा नहीं होने के बावजूद चीनियों को हमारे बहादुर जवानों ने बिना हथियार उनको हथियार समेत सिर्फ लाठी-डंडों से मारकर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।।

"चिनिया चले चाल चनमुनिया अरे बाप रे बाप" चीनियों ने अपना जो रेड ड्रैगन निशान को चरितार्थ कर दिया और यह भी नहीं कि आमने-सामने युद्ध करने की बात करते वो तो हमसे शांति समझौता करके एक सोये हुए या किसी को विश्वास में लेकर उसकी पीठ में छूरा भोंकने का काम किये।

जब हम तटस्थता की बात करते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हम कायर हैं या लड़ना नहीं जानते या हम कमजोर हैं बल्कि हम विषम परिस्थितियों में भी अपना धैर्य और संयम नहीं खोते हैं।हम किसी को उकसाते भी नहीं और नहीं किसी गुटबाजी में शामिल होते हैं जबकि सामान्यतः देखा जाता है कि विकसित राष्ट्रों ने गुटबाजी का फायदा उठाया है या आपसी सहमति से दो लड़ने वाले राष्ट्रों को उकसा कर दोनों तरफ से तरफदारी में लग जाते हैं ताकि उनका हथियार बेचने का या व्यवसाय चलता रहे लेकिन हमारा देश भारत कभी भी किसी भी राष्ट्र के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं किया है न तो अब कर रहा है।।
 हालांकि सर्वविदित है कि जो बड़ा होता है वह दूसरे को बड़ा नहीं देखना चाहता है ठीक वैसे ही विकसित राष्ट्र ही विकासशील देशों की तरक्की में बाधा बनकर अपरोक्ष रूप से खड़े हो जाते हैं।जब भारत स्वतंत्र हुआ तब हमारी स्थिति बहुत चिंताजनक थी क्योंकि लगभग दसवीं शताब्दी के बाद जो संक्रमण काल भी कहा जाता है भारत पर किसी न किसी आक्रांता का आक्रमण होता रहा है जैसे कि..... अलप्तगीन,सुबुक्तगीन,गोरी, अहमदशाह अब्दाली, तैमूर लंग,अफगानी, तूरानी,मंगोल,बाबर, हुमायूं फिर पुर्तगाली,डच, फ़्रांसीसी, फिर ब्रितानी...ये लोग कभी आक्रमण करके,कभी संधि करके कभी व्यापार के नाम पर अर्थात येन-केन प्रकारेण भारत को खोखला कर दिया फिर अंग्रजों की गुलामी और दोनों हाथों से भारत को लूटना..! फिर हम आज़ाद भी हुए तो विश्व दो धड़ों में बंटा हुआ था एक तरफ साम्यवादी तो दूसरी तरफ पूंजीवादी व्यवस्था में संघर्ष चल रहा था और दोनों भारत को अपने खेमें रखने को जुगत में लगे थे अतः भारत के बड़ी विकट स्थिति थी वह करे तो क्या करे जबकि भारत की बागडोर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के हाथों में थी तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि भारत न तो सोवियत रूस ने तो अमेरिका की तरफ रहेगा अतः वह तटस्थ रूप राजनीति से दूर रहकर अपना विकास करेगा जैसे की भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि.....

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य,
तदात्मानम सृजाभ्यहम।।

अर्थात तटस्थता तो हमारी संस्कृति पहले से ही रही है हम शांतिपूर्ण सह अस्तित्व में विश्वास रखते हैं और..........

"बसुधैव कुटुम्बकम" की सोच रखते हैं 

यहां तक कि हमारे जीवन का मूल आधार रामचरित मानस है, भागवत गीता है।गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि.....

 "नहिं असत्य सम पातक पुंजा"
अहिंसा पर बल देते हुए कहा गया है कि....
"धर्म न दूसर सत्य समाना"
            ...... अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि हमारा भारत सदियों से ही शांति -सदभाव एवं विश्वबंधुत्व की सोच पर टिका हुआ है यह कोई नई बात नहीं है।।

3-तटस्थता और इसका प्रभाव:-
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विश्व में लगभग 288 देश हैं तो कहीं न कहीं कुछ वाद-विवाद,झड़प, यदा-कदा युद्ध भी भड़कना सम्भव रहता है और इसमें हमारी ऐसी नीति है कि हम किसी को उकसाते या भड़काते नहीं हैं और न तो ऐसे कृत्य करने वाले देश की सहायता या प्रोत्साहित करते हैं बहुत पहले की बात है जब इराक ने कुवैत पर आधिपत्य स्थापित करते हुए उसे अपना 23 वां राज्य घोषित कर चुका था और ताबड़तोड़ मिसाइलें दागना शुरू कर दिया तब समूचा विश्व हतप्रभ रह गया था और मित्र राष्ट्र की सेनाओं को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा और भारत ने भी कड़ी निन्दा की जबकि तात्कालिक राष्ट्राध्यक्ष सद्दाम हुसैन जो तानाशाह थे लेकिन भारत से बहुत अच्छे सम्बन्ध थे लेकिन भारत की नीति तटस्थता की ही रही और तात्कालिक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांत पर कायम रहते हुए इराक की यात्रा भी की थी... उदाहरण के तौर पर अमेरिका बमबारी कर रहा था तो भारत ने अपने यहां से ईंधन हमले के मद्देनजर देने से साफ मना कर दिया और कहा कि हम किसी देश पर विनाशकारी हमले के लिए ईंधन नहीं दे सकते हैं इसके हम कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है

4-उपसंहार:-
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जब पूरा विश्व दो धड़ों में बंटा हुआ था वियतनाम युद्ध भी चल रहा था तभी भारत के विशेष प्रयास से सन् 1961 में यूगोस्लाविया के शहर बेलग्रेड में मार्शल टीटो के नेतृत्व में गुटनिरपेक्षता की रणनीति बनाई गई जिबका नाम रखा गया -NAM....Non Alignment Movement मतलब गुटनिरपेक्ष आंदोलन...हम किसी युद्ध या विध्वंस गतिविधियों में कभी भी भाग नहीं लेंगे न तो समर्थन करेंगे।।
           भारत का सदियों से विश्व शांति एवं बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम का नाता रहा है उसी के तहत अक्सर कुछ बातें हर समय बोली जाती हैं जो निम्नलिखित हैं......

धर्म की जय हो 
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्भावना हो
हर हर महादेव
सर्व भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामयया:
विश्व का कल्याण हो!
           आज भी बहुत सारे विवाद चल रहे हैं और चलते भी रहेंगे लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम किसी गुटबाजी में शामिल हो जांय जैसे इजरायल -फिलिस्तीन विवाद,चीन-ताइवान, सोवियत रूस और यूक्रेन विवाद लेकिन हम विश्व कल्याण की भावना से काम करते हैं सबका भला चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि जो जहां है वह समप्रभु राष्ट्र बना रहे अधिनायकवादी सत्ता के न तो समर्थन करेंगे न तो उसके वाहक बनेंगे।।
           हमारा देश भारत आज एक विश्व की परमाणु शक्ति भी बन चुका है फिर भी तमाम पड़ोसी देशों के झड़पों को छोटे-मोटे घावों को बर्दाश्त कर रहा है जबकि सामरिक दृष्टिकोण से अमेरिका हो रुस हो या धूर्त चीन-पाकिस्तान ही क्यूं न हो इन सबको किसी भी स्तर पर धूल चटा सकता है लेकिन हमें शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की नीति पर ही कायम रहना है जबकि आज का विश्व ग्लोबल हो चुका है सारे विकसित राष्ट्र तरक्की की राह पर हैं और उपभोक्तावादी संस्कृति पर चल रहे हैं तब हम भी शांतिपूर्वक रहकर विश्व बाजार में उपलब्ध अवसरों को खोना नहीं चाहते लिहाजा ग्लोबल और उपभोक्तावादी व्यवस्था में पीछे नहीं रहना है और रहेंगे भी नहीं विश्व स्तर पर हमारे उत्पाद भी किसी से कम नहीं है।।
               आज की परिस्थितियां ऐसी हैं कि भारत को कोई भी देश नजर अंदाज नहीं कर सकता है क्योंकि बाजार की व्यवस्था में भारत नंबर एक पर आता है इसीलिए विश्व के सभी देशों की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं जो सबसे बड़ा उपभोक्ता के तौर पर माना जा रहा है लेकिन हमें भी अपने को साबित करने का सुनहरा मौका है।।

 " सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया: "
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लेखक अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंधों के विशेषज्ञ हैं
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आलेख स्वरचित एवं मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
9102331513

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