मैं चींखता रहा वह हंसता रहा!!!

मैं चींखता रहा वह हंसता रहा
--------------------------------------
रो-रोकर तुझे मैं याद करता रहा
हर किसी से फरियाद करता रहा।

तुम मुझे अपने इशारे नचाते रहे
मैं तेरे इशारे पर ही नाचता रहा।

हम तो वफ़ा तेरे साथ करते रहे
तेरी बनायी  राह पर  ही चलते रहे।

लड़खड़ाते रहा,अश्क  छुपाता रहा
दिल रोता रहा पर  गुनगुनाता रहा।

ज़ख्म  बढ़ता रहा , मैं छुपाता  रहा
कुछ न किया मैं कहर सहता  रहा।

अब  जान गये  तेरी  वफ़ा  को हम 
तेरी याद में क्यूं अश्क बहाता रहा।

बेवफ़ाई में तेरी  अब  नहीं है  शक
तेरी आदतों में  शुमार सताना रहा।

मैं  भरोसे  पर भरोसा  करता गया
और वह मुझे आहिस्ता रेतता रहा।

मैं  दर्द  से  चींखता  चिल्लाता रहा 
वह  था  कि  अट्टहास   करता रहा 

हर शख्स को  अपना समझता था
आस्तीन में रहकर वही डंसता रहा।

क्या कहें  ज़माने को क्या हो गया
अपना  बनकर ज़हर पिलाता रहा।
           -----------------------
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान