भाग्य की लकीरें
भाग्य की लकीरें
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कहते हैं बहुत लोग
किस्मत ही सब है
हाथों की लकीरें ही
बताती हैं भविष्य
किसे कहां जाना है
किसे कहां रहना है
किसे दुख भोगना है
किसे मजे करना है
फिर मैंने भी दिखाई
अपनी भी लकीरें
ज्योतिषी बोल पड़े
तेरी लकीरें नहीं हैं
मैंने कहा सही बात
घिस गई हैं काम से
तो क्या मैं रह गया
पूरा वंचित भाग्य से
हम भी सोचने लगे
जो ज्यादे मेहनत करे
उसकी लकीरें नहीं है
जो नहीं करे कुछ भी
सही मायने में वही
लकीरों का मालिक
वही तो भाग्यशाली है
हम तो ठहरे कामगार
हमें तो फुर्सत ही नहीं
ये सब बातें करने की
बस कोल्हू के बैल जैसे
सिर्फ चलना जानते हैं
हमारी किस्मत में तो
दो जून की नून रोटी है
काम करते हैं मन से
लुढ़क जाते आराम से
बिना लकीर लिए हम भी
कम भाग्यशाली नहीं हैं
उन अमीरों जैसे नहीं हैं
ये मत खाओ वो मत खाओ
एम्स में दिखाओ और तो
और लाइलाज है यह रोग
फिर होमियो, आयुर्वेद में
थक हार कर चले जाओ
हमारी ग़रीबी ही अमीरी है
वो अमीरी मुफलिसी है
फिर हम ठीक हैं क्योंकि
भाग्य की लकीरें नहीं हमें
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-------राम बहादुर राय-----
भरौली बलिया उत्तरप्रदेश
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