का कइलू ए बदरी!!!
ए बदरी का कइलू!!
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का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू का कइलू!
बरिसे के रहे कहंवा
कहंवा बरिस गइलू!
का कइलू ए बदरी
तुहवूं का कइलू!
केनियो पानी पानी
कहीं सुखार कइलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू ई का कइलू!
केहू के तूं डूबवलू
केहू के जारि दिहलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू ई का कइलू!
कहीं फसले बहवलू
कहीं धूरे उड़ववलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू का कइलू!
तूहूं बड़े के चिन्हलू
गरीबवो के भूलइलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू ई का कइलू!
तोहरे सब केहू हवे
काहें भेदभाव कइलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू ई का कइलू!
जवन भइल त भइल
तूहूं अइसन ना रहलू
का कइलू ए बदरी
तूंहूंवू ई का कइलू!
किसान खुश हो जइहें
अबो ले बरिस गइलू
का कइलू ए बदरी
अबो त बरिस जइतू!
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रचना स्वरचित अउरी मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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