सावन के बदरिया

सावन के बदरिया:--
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सावन के महिनवा में
बरिसेला बदरवा हो !!

चलले किसनवा      अब
खेतवा के ओर !!

लहर  -   लहर     लहरातबाटे
खेतवा में धानवा !!

हरियर       कचनार     भइल 
 मारे पनिया हिलोर!!

गीत    गावेली    बनिहरिनिया
धनवा सोहत बेर!!

बहेले     पुरवईया    सन  सन
बिहंसे मनवा मोर!!

हरियर     बा    धान   पतइया
जैसे धानी चुनरिया!!

गावेले  किसान   भईया   जब
घटा घेरले घनघोर!!

घरवा  में     बइठल   बहुरिया
देखे पियू के रहिया!!

देखेली   उनके   खूबे   मन से 
हियवा में होला अंजोर!!

बहेला पुरवइया   त  अंग-अंग
टूटेला हमरो पुरजोर!!

पनिया  बरिसे  अइसे होखेला 
जइसे  नाचेला मोर!!

सन् सननन चलल पुरवइया त
चलिंजा खेतवा ओर!!

देखिके फसलिया किसनवा के
खिलेला पोरे पोर!!

अब त उठा हो किसान भइया 
लगावा सोहनी प जोर!!

झम-झम बरिसेला बा सावनवा
चला चलीं खेतवा के ओर!
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रचना स्वरचित अउरी मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
   ------राम बहादुर राय------
भरौली,बलिया, उत्तरप्रदेश

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