जो झुककर खड़ा वही बड़ा
जो झुकता है वही बड़ा है
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जो भी झुककर खड़ा है
उसी का कद भी बढ़ा है।
चाहे कुछ भी खेलना हो
लक्ष्य पर ही ध्यान रखना है।
जो भी पहले पीछे हटा है
वही जीत का दांव चला है।
जो सीधे तन कर खड़ा है
वह पहले ही हार गया है।
चढ़ने के लिए झुकना है
तभी ऊंचाई पर पहुंचता है।
आगे बढ़ने हेतु रूकना है
पीछे मुड़के नहीं देखना है।
जो झुकते नहीं वह कभी
पथ पर आगे नहीं बढ़ता है।
जब कभी तूफ़ान आता है
समन्दर शान्त हो जाता है।
मिलकर ही साथ चलें हम
इसके लिए हमें झुकना है।
वास्तव में बड़ा तो वही है
जितना अधिक सहता है।
यदि उभय पक्ष में है भरम
चुप होके वहम तोड़ देना है।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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