पापा ही लाये थे!!!
पापा ही लाये थे !!!
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वर्षों पहले मैं बाहर नौकरी करता था
नौकरी छोड़ मैं पढ़ाना शुरू कर दिया
एक बिटिया को वर्षों से पढ़ा रहा था
और फिर धीरे धीरे जान गया उसको
आकर चुपचाप बैठी ,कभी बालों में
उंगलियां फेरती ,कभी यूं ही शर्माती
अकेली होती तो पांव स्वयं सहलाती
पूछा तो बोली कि"जूतियां काटती हैं
मैने कहा उससे बदल क्यों नहीं लेती
बड़े प्यार से बोली"पापा इसे लाये थे"
पुनःआठ वर्ष बाद मिल गयी मुझसे
वैसी ही-गोरी,तीखे नयन, दुबली सी
लेकिन इस बार उसके साथ कोई था
उसने मिलवाया अजनबी आदमी से
बताई किराने की दूकान है शहर में
मेरे मन में बहुत से सवाल उठने लगे
यह शख्स बिटिया के योग्य तो नहीं है
मगर उसने मेरे मन को पढ़ ही लिया
आके मुझसे बोली-"पापा ही लाये थे"
पापा का लाया सब कुछ शिरोधार्य है
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राम बहादुर राय
भरौली ,बलिया, उत्तर प्रदेश
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